ब्यूरो चीफ,
रांची: राज्य भर के डेढ़ लाख से अधिक अस्थायी और स्थायी कर्मियों की हड़ताल व आंदोलन से जहां विकास कार्य प्रभावित हो रहा था, वहीं एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने भी सरकार के खिलाफ अपने कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया है. राज्य सरकार के लिए एक राहत भरा कदम यह भी है कि पंचायत स्वंयसेवकों ने भी अपना आंदोलन वापस ले लिया है. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील वर्णवाल से मुलाकात भी की थी. पांच सूत्री मांगों को लेकर पंचायत स्वंयसेवक संघ बेमियादी अनशन पर थे. अनशन के आठवें दिन संघ ने अपना आंदोलन वापस ले लिया. वहीं पारा शिक्षकों की नयी नियोजन नीति पर सरकार की तरफ से दिये गये आश्वासन के बाद 70 हजार पारा शिक्षकों ने भी आंदोलन स्थगित कर दिया है.
80 हजार से अधिक आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका भी मानदेय बढ़ाने की मांग पर 43 दिनों से आंदोलनरत हैं. इन पर पुलिस की तरफ से लाठी-डंडे भी भांजे गये. महिला और बाल विकास विभाग की तरफ से एक सप्ताह के अंदर आंदोलन समाप्त करने और काम पर लौटने की चेतावनी भी दी गयी थी, फिर भी इनका आंदोलन समाप्त नहीं हुआ है. अब सरकार की तरफ से इनकी जगह पर पंचायतों में ग्राम सभा आयोजित कर नयी सेविका, सहायिका का चयन करने का निर्देश दिया गया है.
सरकार भी आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका के आंदोलन पर कोई कार्रवाई करने से गुरेज कर रही है. इनका आंदोलन नहीं टूटना भी सरकार के लिए एक बड़ा सिरदर्द साबित हो रहा है, क्योंकि इनके आंदोलनों से पांच वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती माताओं और धातृ माताओं को पोषाहार नहीं मिल रहा है. राज्य में अंचल उप निरीक्षकों के हड़ताल ने भी सरकारी कामकाज पर भारी असर डाला है. इन पर भी राजस्व एवं भूमि सुधार सचिव के निर्देश का असर नहीं पड़ रहा है.