दीपक
रांची: झारखंड में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी कुछ दिनों बाद तेज हो जायेगी. सत्तारूढ़ भाजपा की तरफ से चुनावी बिगुल तो फूंक दिया गया है. राज्य भर में मुख्यमंत्री रघुवर दास विपक्षी दलों पर तीखे प्रहार कर रहे हैं. जन आशीर्वाद यात्रा, कमल यात्रा चलायी जा रही है. वहीं पार्टी स्तर पर बेहतर परफारमेंस के आधार पर टिकट मिलने की बातें भी चल रही हैं. पार्टी सूत्रों का कहना है कि विधानसभा में दल के 43 सदस्य हैं. इसमें से छह वैसे विधायक भी शामिल हैं, जिन्होंने झाविमो से अपना नाता तोड़ भाजपा की सदस्यता ले ली थी. इस सूची में से कईयों का प्रदर्शन पिछले पांच वर्षों में सही नहीं रहा है. ऐसे सभी उम्मीदवारों को आगामी चुनाव में टिकट नहीं दिया जा सकता है.
70 प्लस बनेगा टिकट कटने का आधार
लोकसभा चुनाव 2019 में 70 प्लस वाले सभी सीटिंग सांसदों का टिकट कट गया था. उसी तरह विधानसभा में भी 70 प्लस वालों को ‘ टिकट नहीं ‘ की सूची तय कर ली गयी है. भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से विधानसभावार ग्राउंड रिपोर्टिंग की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है. प्रदेश स्तर पर एक अंतिम स्तर की तैयारियां लोगों के रीएक्शन और अन्य मुद्दों पर रिपोर्टिंग की जानी है. जिसके बाद उम्मीदवारों के नाम की मुहर लग जायेगी.
विधानसभा चुनाव प्रभारी की अध्यक्षता में हुई कई दौर की रायशुमारी
विधानसभा चुनाव समिति के प्रभारी ओम प्रकाश माथुर और सह प्रभारी नंद किशोर यादव तथा संगठन महामंत्री धर्मपाल की अध्यक्षता में कई दौर की बैठकें भी हुई हैं. जिनमें किन प्रत्याशियों को टिकट दिया जाना है, कौन हो सकते हैं संभावित प्रत्याशी और वर्तमान में पार्टी के विधायकों के प्रदर्शन पर गंभीरतापूर्वक रायशुमारी और विचार-विमर्श भी कर लिया गया है. इतना ही नहीं झारखंड विधानसभा चुनाव के प्रभारी ने मुख्यमंत्री रघुवर दास, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, सांसद सुर्दशन भगत समेत अन्य की राय भी ली गयी. केंद्रीय कमेटी की दो बार से अधिक बैठकें भी हुई हैं. इतना ही नहीं चुनाव को लेकर सभी विधायकों के साथ भी संगठन स्तर पर बातचीत की गयी है.
संभावित उम्मीदवारों ने जमा कराया है बायोडाटा
इस बीच सभी संभावित उम्मीदवारों ने अपना बायोडाटा प्रदेश अध्यक्ष को जमा किया है. इनके बारे में पार्टी के स्तर पर फीड बैक लिया जा रहा है. इसमें यह देखा जा रहा है कि किस कैंडिडेट का विधानसभा क्षेत्र में एक्सेप्टेंस कितना है. कार्यकर्ताओं में उनकी छवि कैसी है. पार्टी संगठन और सरकार के बीच का तालमेल संभावित उम्मीदवारों का कैसा है. इन सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद स्क्रूटनी कर बायोडाटा को पैक किया जा रहा है.