धनबाद: पुटकी बलिहारी परियोजना कोयला खदान के भीतर लगातार जलस्तर बढ़ता जा रहा है. आलम यह है कि खदान के अंदर से पानी बाहर निकालने के लिए लगाई गई मशीनें भी अब डूब चुकी है. खदान के भीतर कोयला खनिको को ले जाने वाली डोली भी डूबती जा रही है. जिससे न सिर्फ कोयला प्रोडक्शन पूरी तरह ठप पड़ गया है, बल्कि कोयला खदान के ऊपर भी बंदी के बादल मंडराने लगे है.
22 सितम्बर 2019 का वो रविवार का दिन तो आपकों याद ही होगा जब इसी खादान में अचानक पानी भरने से अंदर कोयला उत्खनन करने गए 9 कोयला कर्मियों के ऊपर काल टूट पड़ा था. लेकिन समय पर इसकी सूचना खदान के बाहर अधिकारियों को मिलने और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए जाने के बाद बड़ी ही सौभाग्य से इन सभी कर्मियों की न सिर्फ जान बच सकी थी बल्कि सकुशल इन्हें बाहर भी निकाल लिया गया था.
उसी दिन से उस कोयला खदान में भरे पानी को लगातार बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा था. लेकिन खादान से पानी कम होने के वजाए पानी लगातार बढ़ता ही जा रहा है. 5 सौ 50 फीट गहरे इस कोयला खदान से पानी निकालने के लिए 8 मोटर पम्प लगाए गए थे. जो अब पानी में डूब चुका है. माइंस के अंदर जाने के लिए उपयोग की जाने वाली डोली भी 2 फिट पानी में समा चुका है. बीसीसीएल के अधिकारियों की लगातार प्रयास भी खदान के अंदर से पानी बाहर निकाल पाने में अब तक असमर्थ साबित हुए है.
बीसीसीएल का यह कोयला खदान इस लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इस 6 पिट कोयला खदान से यहां के लगभग आधा दर्जन कोयले की खदानें जुड़ी हुई है. यदि इस कोयला खदान में पानी भरता है तो इससे जुड़ी बाकी की कोयला खदानें भी बूरी तरह प्रभावित होंगी. उन खदानों में भी पानी भरने का खतरा बढ़ जाएगा. जिससे इन तमाम कोयला खदानों से कोयले का उत्खनन पूरी तरह बंद हो जाएगा. इसी खतरे को लेकर बीसीसीएल के अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है.