कार्लमाक्स ने कहा था कि दुनिया में जितने भी बदलाव होते हैं उन सबके केंद्र में आर्थिक परिवर्तन होता है. इस बात से पूरी तरह शायद सहमत नहीं हुआ जा सकता लेकिन सऊदी अरब के मामले में ये काफी हद तक सही मालूम पड़ रहा है. दरअसल, सऊदी अरब जिसे एक कट्टर इस्लामिक मुल्क माना जाता है वो लगातार अपने सामाजिक नियमों में ढील दे रहा है. वो फिर महिलाओं को ड्राइविंग की इजाजत देना हो या मनोरंजन के लिए सिनेमा हॉल खोलना हो. अब इसी क्रम में उसने एक बड़ा कदम उठाया है.
सऊदी अरब ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टूरिस्ट वीजा की शुरुआत करने के बाद एक और अहम फैसला लिया है. इस मुस्लिम देश ने विदेशी पुरुषों और महिलाओं को अब होटल के एक ही कमरे में ठहरने की इजाजत दे दी है. साथ ही उन्हें ये भी साबित करने की आवश्यकता नहीं है कि वो रिश्तेदार हैं. इतना ही नहीं, सऊदी महिलाओं को भी अपने लिए होटल में कमरा बुक करने की इजाजत दी गई है. पहले इसकी इजाजत नहीं थी.
सऊदी अरब के इस कदम के पीछे वजह ये है कि अब वो अपनी अर्थव्यवस्था को सिर्फ तेल के निर्यात तक सीमित नहीं रखना चाहता है. इसी के साथ वो ये भी जानता है कि अगर उसे अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लानी है तो फिर उसे रूढ़वादिता का चोला उतार उदारवाद का मुखौटा चढ़ाना पड़ेगा.
यही वजह है कि इस इस्लामिक देश में बदलाव की बयार चल रही है. ताजा कदम से सिंगल महिलाओं के लिए सऊदी अरब में घूमना आसान हो जाएगा. इसके अलावा अविवाहित विदेशी सैलानियों को इस मुस्लिम देश में होटल में एक साथ ठहरने की भी सुविधा उपलब्ध होगी जहां शादी से इतर यौन संबंध प्रतिबंधित हैं.
सऊदी कमिशन फॉर टूरिस्ट ऐंड नैशनल हेरिटेज ने शुक्रवार को अरबी भाषा के अखबार ओकाज की रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए कहा, ‘सभी सऊदी नागरिकों को किसी होटल में चेक-इन करते वक्त फैमिली आईडी दिखानी होगी या रिश्ते का सबूत देना होगा. हालांकि, विदेशी सैलानियों के लिए यह जरूरी नहीं है. सऊदी नागरिकों समेत सभी महिलाएं चेक-इन के वक्त पहचान पत्र दिखाकर होटल बुक कर सकती हैं और अकेले ठहर सकती हैं.’