दशहरे का वो दिन भुलाए नहीं भूलता…दशहरे की वो शाम जब रावण जल रहा था…बड़ी संख्या में लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मना रहे थे..और इसी दौरान वो हुआ जिसका किसी को तनिक भर अहसास भी नहीं था. रावण दहन का दृश्य देख रहे वो जीते जागते 59 लोग, पल भर में लाश बन गए…अमृतसर के जौड़ा फाटक के पास रेलवे ट्रैक पर खड़े 59 लोग की जिंदगी चंद पलो में उनसे जुदा हो गई. पठानकोट से आ रही डीएमयू ट्रेन सभी को रौंदते हुए चली गई. जो रेलवे ट्रैक लोगों की के शोर गुल से गुंजायमान था वहां लाशे बिखर गई…रोने चिखने की आवाजें आने लगीं. आज भी उस घटना की यादें लोगों की रूह कंपा जाता है…
दशहरे पर लोगों का दिल दर्द से फिर तड़प उठा…. 19 अक्टूबर 2018 को हुई इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था. किसी ने अपना बेटा खो दिया तो किसी ने अपना पिता, किसी की बेटी नहीं रही तो कोई मां की ममता से महरूम हो गया.
इस घटना के बाद जांच का सिलसिला शुरु हुआ तो वहीं नेताओं के दौरे हुए…लोगों के जख्म पर मरहम लागने की घोषणाएं और वादे किये गए लेकिन एक साल बाद भी इस हादसे की भेंट चढ़ गए लोगों के परिजनों का दर्द कम नहीं हुआ है. आज भी जौड़ा फाटक की गलियां गम से बोझिल हैं. मंगलवार को एक बार फिर पूरा देश दशहरा उत्सव मनाने की तैयारियों में जुटा है, पर पीड़ित परिवारों के लिए यह दिन एक बुरे सपने की तरह है. वहीं आशा है कि इस दर्दनाक हादसे से प्रशासन सबक ले चुका होगा.