रांचीः प्रदेश कांग्रेस में एक्शन, इमोशन, ड्रामा, कंफ्यूजन सब कुछ मौजूद है. गुटबाजी और अंतर्कलह उफान मार रहा है. सभी दल चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं. भाजपा अपनी रणनीति से विरोधियों को सोंचने पर मजबूर कर दिया है. खुद सीएम हर सीट की मॉनिटिरिंग कर रहे हैं. क्षेत्रीय दल आजसू स्वाभिमान यात्रा के जरीए सेंधमारी में लगी है. जेएमएम बदलाव यात्रा के जरीए जनसमर्थन जुटाने में लगा है, लेकिन कांग्रेस का अपना ही घर नहीं संभल पा रहा.
प्रदेश के नेताओं ने डॉक्टर अजय को भी दिखा दिया बाहर का रास्ता
कांग्रेस में गुजबाजी का हाल ऐसा है कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया. इसके बाद डॉ अजय ने आप पार्टी का दामन थामा. अंतर्कलह ऐसा दिख रहा है कि विधानसभा चुनाव में मुकाबला भाजपा से नहीं बल्कि खुद के नेतृत्व और पार्टी से है. प्रदेश के नेताओं के बीच प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह फिट नहीं बैठ रहे. कई बार प्रदेश प्रभारी के साथ तू-तू मैं-मैं भी हो चुकी है.
सुबोधकांत ने भी खोल दिया है मोर्चा
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय ने नेतृत्व के खिलाफ स्पष्ट रुख सामने रख दिया. सहाय का मानना है कि नेतृत्व के सामने झारखंड की टीम कठपुतली बन कर रह गई है. पार्टी सूत्रों के अनुसार प्रदेश प्रभारी के खिलाफ सभी जिले के कार्यकर्ताओं में रोष व्याप्त है. कार्यकर्ता और पुराने नेताओं का कहना है कि यदि चुनाव तक आरपीएन सिंह प्रभारी रहे तो कांग्रेस फिसड्डी साबित हो जाएगी.
लगभग दो साल से प्रभारी है आरपीएन
ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटि, एआईसीसी के निर्णय के तहत आरपीएन सिंह को झारखंड कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया था. प्रभारी बनने के दो साल के सफर में इन्हें ज्यादातर समय विरोध ही झेलना पड़ा है. आरपीएन सिंह लगभग दो साल से प्रदेश पभारी हैं.