रांची 23 जून: खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने सरकार पर फिर तंज कसा है। उन्होंने खाद्य आपूर्ति सचिव डॉ अमिताभ कौशल को पत्र लिख कर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा सोमवार को समारोह आयोजित किया गया।
दूसरी ओर जिन किसानों से उचित मूल्य एवं बोनस के आधार पर धान की खरीद विगत 31 मार्च 2019 के पूर्व हो चुकी है, उनमें से करीब 2,838 किसानों के धान की कीमत और बोनस का भुगतान लंबित है।
सरकारी खजाना से किसानों को सहायता राशि का भुगतान कर देने में जितनी तत्परता दिख रही है उतनी ही तत्परता वैसे किसानों को उनकी हकदारी का भुगतान करने में होनी चाहिये । जिन्होंने पसीना बहाकर और निजी निवेश कर धान उपजाया है।
बिना किसी कसूर के सरकार के पास फंसी हुई है पूंजी
खरीफ की बुआई का समय आ गया है। किसान धान का बिचड़ा डाल रहे हैं। उन्हें खेती के लिये पूंजी की जरूरत है।
उनकी अपनी पूंजी के बिना किसी कसूर सरकार के पास फंसी हुई है। 30 मई को हुई विभाग की मासिक बैठक में संबंधित पदाधिकारियों को सख्त हिदायत दी गई थी कि वे किसानों को धान खरीद के बकाया का भुगतान 10 जून तक कर दें अन्यथा उनके विरूद्ध कार्रवाई होगी।
उस दिन की बैठक में दिये गये जिलावार आंकड़ों के अनुसार 7,185 किसानों का लगभग 83 करोड़ रूपये का भुगतान उस दिन तक लंबित था। 17 जून की मासिक बैठक में बताया गया था कि 3,434 किसानों का लगभग 45 करोड़ रूपया का भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है।
पत्र में मंत्री ने नियमों का भी दिया हवाला
पत्र में मंत्री ने कहा है कि नियमानुसार जो किसान किसी पैक्स में अपना धान बेचेगा उसका भुगतान सात दिन में हो जायेगा।
प्रक्रिया है कि पैक्स द्वारा किसानों से खरीदा गया धान अविलंब पैक्स से उठाकर संबंधित चावल मिल में भेज दिया जायेगा। धान जैसे ही मिल में प्राप्त कर लिया जायेगा वैसे ही धान की कीमत किसान के खाता में भेज दी जायेगी।
राज्य भर में कुल 34,247 किसानों से इस वर्ष 2,27,858 लाख टन धान की खरीद हुई है। जिसमें से 31,409 किसानों को लगभग 396 करोड रूपया का भुगतान हो गया है। फिलहाल 2,838 किसानों का लगभग 36 करोड़ रूपया का भुगतान लंबित है।
कई जिलों में किसानों से खरीदा गया धान अभी भी पैक्स में पड़ा है। इसे मिल में नहीं भेजा गया है।
क्या व्यवस्था बनाई गई थी
मंत्री ने लिखा है कि व्यवस्था बनाई गई थी कि किसानों से खरीदा गया धान मिल पर पहुंचाने में कोई कठिनाई हो तो राज्य खाद्य निगम उसे कब्जा में ले लेगा और और पैक्स से उठाकर अपने गोदाम में रखेगा।
धान गोदाम में पहुंचते ही किसान को भुगतान हो जायेगा। पैक्स से चावल मिल में अथवा गोदाम में धान पहुंचाने की प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर पूरा हो जायेगी।
सप्ताह के भीतर किसान को भुगतान हो जायेगा। पर अनेक मामलों मे ऐसा नहीं हो पाया है और किसान भुगतान के लिये दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
इसके लिये जिम्मेदारी सुनिश्चित कर दोषी अधिकारियों पर का्रर्रवाई शुरू करें। जिन किसानों का धान संबंधित पैक्स ने खरीद लिया है और धान की खरीदगी की रशीद किसान को दे दी गई है, उस किसान को पैक्स द्वारा दी गई रसीद के आधार पर भुगतान कर दिया जाये।
यदि किसान से धान खरीद कर पैक्स के गोदाम में आ गया है और सरकार के गोदाम में अथवा चावल मिल में नहीं पहुंचा है तो इसके लिये किसान जिम्मेवार नहीं है बल्कि खरीददार दोषी है।
इसलिये किसान को खरीदे गये धान की कीमत का और इसपर दिये जा रहे बोनस अनुदान का भुगतान त्वरित गति से किया जाये।