रांची 24 जून: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने मॉब लिंचिंग मामले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। शासन का इकबाल खत्म हो चुका है, आए दिन हत्या, लूट, डकैती, दुष्कर्म के मामले सामने आ रहे हैं। उग्रवादी घटनाओं में पुलिस के जवान लगातार शहीद हो रहे हैं और राज्य की भाजपा सरकार मूकदर्शक बनी हुई है या यूं कहें कि लोकसभा की जीत की खुमारी अभी तक नहीं उतरी है। सरकार पर अहंकार हावी है और झारखंड दिनोंदिन जंगल राज में तब्दील होते जा रहा है।
डॉ कुमार ने कहा कि सरायकेला की घटना सरकार की नाकामी का परिणाम है। पिछले दिनों ऐसे 18 मामलों पर कोई कार्रवाई नहीं किए जाने के कारण असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ा है और कहीं ना कहीं ऐसे मामलों में राजनीतिक लोगों का हाथ है। पिछले दिनों की घटना झारखंड समेत पूरे देश को याद है कि किस तरह मॉब लिंचिंग के आरोपियों को देश के तत्कालीन उड्डयन मंत्री जयंत सिंन्हा ने माला पहनाकर महामंडित किया था, इस तरह के कृत्य से पूरा देश शर्मसार हुआ था।
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि इस तरह की घटनाएं सिर्फ एक समुदाय के साथ घटित हो रही है बल्कि इस तरह की घटनाएं किसी व्यक्ति के साथ घट सकती है, इसलिए ऐसे मामलों पर हमें राजनीति से ऊपर उठकर संवेदनशीलता दिखाते हुए कड़ी कार्रवाई कर लोगों के बीच यह संदेश देना चाहिए कि मॉब लिंचिंग को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पूरे राज्य में भय का माहौल व्याप्त है, कौन किसे क्या कह कर, अफवाह फैलाकर जान ले ले कुछ पता नहीं। राज्य का खुफिया तंत्र पूरी तरह फेल है।
डॉ कुमार ने कहा कि राज्य सरकार ऐसी घटनाओं को राजनीतिक दृष्टिकोण या अपनी प्रशासनिक विफलता के रूप में देखती है और ऐसे मामलों पर बेवजह बयानबाजी कर मामले को उलझा देती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि राज्य में भूख से मौत के मामले पर राज्य सरकार अपने को बचाने के लिए दोषी सरकारी पदाधिकारियों का बचाव करने लगती है, परिणाम स्वरूप अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए कभी बीमारी से मौत तो कोई और अन्य बहाने बनाकर मामले को रफा-दफा कर देते हैं, किंतु सत्य है कि अगर राज्य सरकार मॉब लिंचिंग और भूख से मौत के मामलों की जिम्मेदारी लेते हुए गंभीरता से लेती तो न तो राज्य में मॉब लिंचिंग की घटनाओं की पुनरावृत्ति होती और न हीं राज्य में किसी की भूख से मौत।
डॉ कुमार ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव एवं डीजीपी को सलाह देते हुए कहा कि कानून व्यवस्था का राज कायम करना सरकारी पदाधिकारियों का दायित्व बनता है और अगर वह काम सरकारी पदाधिकारी ईमानदारी से करें तो निश्चित रूप से इस तरह की घटनाएं सामने नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि घटनाएं सड़क पर हो रही है और जिलाधिकारी एवं पुलिस के पदाधिकारी जेल में छापेमारी कर रहे हैं इससे प्रशासनिक अधिकारियों की संवेदनशीलता का पता चलता है और इससे यह भी पता चलता है कि किस तरह से लोगों का ध्यान भटकानें के लिए मीडिया का इस्तेमाल किया जाता है।