रांची : देश में प्लास्टिक के प्रयोग पर पूरी तरह से रोक लगाने की मुहीम चल रही है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्लास्टिक के प्रयोग पर रोक लगाने की अपील की है और राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य को प्लास्टिक मुक्त करने की अभियान की शुरुआत भी कर दी है लेकिन आरा केरम संभवतः देश का पहला ऐसा गांव है जहां पिछले डेढ़ सालों से प्लास्टिक का प्रयोग नहीं हो रहा है.
राजधानी रांची के 32 किलोमीटर दूर ओरमांझी प्रखंड का यह वहीं आरा केरम गांव है जिसकी तारीफ नरेंद्र मोदी कर चुके है. दरअसल इस गांव के लोगों ने श्रम दान कर जल प्रबंधन की एक अनोखी मिशाल पेश की थी. लेकिन अब आरा केरम गांव एक बार फिर चर्चा में है. अब यह गांव प्लास्टिक मुक्त गांव बन गया है, यहाँ के निवासियों ने खुद की बदौलत गांव की तस्वीर बदल दी है, इस गांव में प्लास्टिक के थैले का उपयोग पूरी तरह से बंद है, गांव के लोग पॉलीथिन थैली को छोड़ कपडे के थैले का प्रयोग करते है. प्लास्टिक के दुष्परिणाम के बारे में गांव के हर कोई को पता है.
प्लास्टिक से गांव की भूमि भी बंजर हो रही थी और जानवरों को भी काफी परेशानी थी, दिक्कतों को देखते हुए ग्राम सभा में सभी ने प्लास्टिक के उपयोग नहीं करने का संकल्प लिया, अब कोई भी प्लास्टिक थैले का प्रयोग करते पाया गया तो उसपर आर्थिक दंड लगाया जाता है. ग्राम सभा उस व्यक्ति से 551 रूपये बतौर जुर्माना वसूलता है. गांव के लोग दूसरे गांव के लोगों को भी प्लास्टिक के दुष्परिणाम के प्रति जागरूक कर रहें है. आप गांव के किसी भी जगह चले जाएं कहीं प्लास्टिक का एक टुकड़ा आपको नहीं मिलेगा. पूरा गांव पूरी तरह से साफ़ और स्वच्छ है.
आपको जानकार आश्चर्य होगा कि लगभग 700 की आवादी वाला यह गांव आज से कुछ साल पहले तक नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था, हज़ारो लीटर देशी शराब का उत्पादन होता था, गांव में शराब का सेवन हर कोई करता था, लेकिन एक IFS अधिकारी सिद्धार्थ त्रिपाठी के प्रयास के आज यह गांव देश में अपनी तरह का अनोखा गांव बन गया है. गांव में कोई बेरोजगार नहीं है , नशा , खुले में शौच और पेड़ कटाई से यह गांव वर्षो पहले पूरी तरह से मुक्त हो चुका है.