नई दिल्ली : कांग्रेस हरियाणा के सियासी रण के साथ सत्ता में वापसी की जद्दोजहद में लगी हुई है. सियासत की लड़ाई में बीजेपी ने कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को घेरने के लिए चक्रव्यूह रचा है.यहां पर कांग्रेस की हाई प्रोफाइल माने जाने वाली सीटों पर कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है. बड़े चेहरे के तौर पर इस चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस के मैदान में हैं. तो वहीं मुखर वक्ता रणदीप सुरजेवाला कैथल से फिर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. फिलहाल राज्य में वोटिंग चल रही है और 24 अक्टूबर को परिणाम आएंगे.
पहला हाई प्रोफाइल सीट गढ़ी सांपला : पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा
हरियाणा की गढ़ी सांपला विधानसभा सीट रोहतक जिले के तहत आती है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के यहां से विधायक होने के चलते ये हाई प्रोफाइल सीट मानी जाती है. हरियाण के दो बार सीएम रह चुके हुड्डा एक बार फिर इसी सीट से चुनावी मैदान में हैं. वहीं, चुनावी मैदान में हुड्डा को चुनौती देने के लिए बीजेपी ने इनेलो छोड़कर पार्टी में आए सतीश नांदल को उतारा है. नांदल इस सीट पर हुड्डा के खिलाफ 2009 से लगातार चुनावी मैदान में उतर रहे हैं, लेकिन अभी तक मात नहीं दे सके हैं. भाजपा के रणनीतिकार इसे हुड्डा के खिलाफ चक्रव्यूह के तौर पर देख रहे हैं. सभी तरह के राजनीतिक गुणा भाग के बाद ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने यह बयान दिया था कि किलोई सीट का परिणाम दुनिया देखेगी. हुड्डा के साथ सतीश नांदल भी जाट समुदाय से आते है. जाट वोटों के एक तय प्रतिशत के अलावा, ब्राह्मण, वैश्य, एससी और पिछड़े वोटों को बीजेपी अपने पाले में मानकर चल रही है. पिछले दिनों नगर निगम के चुनाव में सतीश नांदल ने अपने बेटे संचित नांदल को चुनाव में उतारा था, जिन्होंने शानदार प्रदर्शन किया था.
हरियाणा में कांग्रेस की दूसरी हाई प्रोफाइल सीटों में कैथल का नाम आता है. कांग्रेस का यह मजबूत गढ़ माना जाता है. इस सीट पर लंबे समय से सुरजेवाला परिवार का कब्जा है. राहुल के राइट हैंड माने जाने वाले रणदीप सुरजेवाला हैट्रिक लगाने के मकशद से कैथल सीट से एक बार फिर मैदान में हैं. बीजेपी ने सुरजेवाला को उन्हीं के दुर्ग में घेरने के लिए साल 2000 में इनेलो की टिकट पर विधायक बने लीला राम पर दांव लगाया है, जबकि जेजेपी ने खुराना गांव के मौजूदा सरपंच रामफल मलिक को मैदान में उतारकर कांग्रेस व भाजपा के समीकरण बिगाड़ दिए हैं. कैथल विधानसभा सीट पर अभी तक कुल 14 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से 8 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. हालांकि बदले हुए समीकरण में बीजेपी काफी मजबूत स्थिति में है. ऐसे में सुरजेवाला के खिलाफ दो तरफा चक्रव्यूह रचा गया है.
किरण चौधरी, विधायक : तोशाम
हरियाणा के भिवानी जिले की तोशाम विधानसभा सीट कांग्रेस की काफी महत्वपूर्ण सीटों में से एक है. पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल के गढ़ कहे जाने वाले तोशाम सीट का मुकाबला काफी दिलचस्प माना जा रहा है. बंसीलाल की विरासत को संभाल रही किरण चौधरी मौजूदा समय में विधायक हैं और पार्टी ने एक बार फिर तोशाम सीट से उन्हें उतारा है. किरण चौधरी को उन्हीं के गढ़ में घेरने के लिए बीजेपी ने शशि रंजन परमार, इनेलो ने कमला पर दांव लगाया है. तोशाम सीट पर कांग्रेस का 2000 से कब्जा है और किरण चौधरी 2005 से इस सीट पर विधायक हैं, लेकिन बदले हुए राजनीतिक समीकरण में इस सीट को बचाए रखना कांग्रेस के लिए आसान नहीं है.
कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस प्रत्याशी : आदमपुर
हरियाणा की आदमपुर सीट भजनलाल परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती है. आदमपुर सीट पर 1967 के पहले चुनाव में हरि सिंह जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन उसके बाद से इस सीट पर भजनलाल परिवार का दबदबा आज तक कायम है. इस बार के विधानसभा चुनाव में अपना पारिवारिक गढ़ बचाने के लिए भजनलाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे हैं. उन्हें न केवल कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है, बल्कि वे अपने परिवार सहित आदमपुर में पिछले तीन माह से डेरा डाले हुए हैं. बिश्नोई की मुश्किलें बीजेपी ने सेलिब्रेटी सोनाली फौगाट को उतारकर बढ़ा दी है. कुलदीप बिश्नोई की पत्नी रेणुका बिश्नोई साल 2014 के विधानसभा चुनाव में हांसी से विधायक बनीं थीं. सोनाली फौगाट बॉलीवुड सेलिब्रेटी हैं और टिक-टॉक से मशहूर हैं. उनका नाम बरवाला हलके से चल रहा था, लेकिन भाजपा ने उन्हें आदमपुर की टिकट देकर सबको चौंका दिया है.
कैप्टन अजय यादव : रेवाड़ी
रेवाड़ी विधानसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन अजय यादव के बेटे चिरंजीवी राव चुनावी मैदान में उतरे हैं, जो कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं. बीजेपी ने इस सीट पर अपने मौजूदा विधायक रणधीर सिंह का टिकट काटकर सुनील यादव पर दांव लगाया है. हालांकि राव इंद्रजीत अपनी बेटी के लिए टिकट मांग रहे थे. रेवाड़ी विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार जीत दर्ज करने वाले पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव 2014 में मोदी लहर में चुनाव हार गए थे. ऐसे में उन्होंन इस बार खुद के बजाय अपने बेटे को उतारा है. बीजेपी ने उन्हें घेरने के लिए यादव प्रत्याशी पर ही दांव लगाया है.