खास बातें:-
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सरकार बियाडा, आयडा को प्रोत्साहित करेगी, रोजगार व स्वरोजगार का होगा सृजन
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माराफारी को इंडस्ट्रियल टाउनशिप के रूप में विकसित करेंगे
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विस्थापित परिवार को प्राथमिकता मिलेगी
रांचीः सीएम रघुवर दास ने कहा है कि धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा व राज्य के अन्य शहीदों ने समृद्ध और खुशहाल झारखण्ड हेतु अपने प्राण की आहुति दी. वर्तमान सरकार उनकी कल्पना और झारखण्ड गठन के बाद लोगों की अपेक्षा व आशाओं के अनुरूप राज्य के निर्माण हेतु कृतसंकल्पित है. आदिवासी, दलित, शोषित, पिछड़ों का सर्वांगीण विकास हमारी प्राथमिकताओं में है. झारखण्ड के पास सामर्थ्य, समर्पण और अब संयोग भी है. सेवा, समर्पण, ईमानदारी और राज्य के सम्पूर्ण विकास के मूल मंत्र के साथ नव झारखण्ड की नींव सरकार ने विगत 5 वर्ष में रखा है. इस नींव की यह बानगी भर है कि हमने 5 वर्ष में 30 लाख घरों तक बिजली, 57 लाख परिवारों को स्वास्थ्य सुविधा, 40 लाख घरों को धुआं से मुक्ति, 32 लाख किसानों को 3 हजार करोड़ समेत अन्य लाभान्वित योजनाओं का लाभ दिया गया. ये सब 2014 में मिले आपके आपार समर्थन का परिणाम है. डबल इंजन की सरकार तेज गति से विकास कर रही है. सीएम सोमवार को बोकारो में आयोजित जन सभा में बोल रहे थे.
विस्थापितों को उनका हक मिलना चाहिए, विस्थापन विरासत में मिली
राज्य को विस्थापन विरासत में मिली. इसके लिए दोषी कांग्रेस है. उसने विस्थापित तो किया लेकिन बसाने का काम नहीं किया. डबल इंजन की सरकार पहले पुनर्वास फिर विस्थापन की पक्षधर है. रांची में निर्मित विधानसभा भवन में विस्थापित परिवार के लिए 245 करोड़ की लागत से उनके लिए पक्का मकान उपलब्ध कराया. वर्तमान सरकार की सोच है जमीन देने वाले को जमीन का पट्टा मिलना चाहिए. विस्थापित परिवार को उनका हक मिलना चाहिए. उन्हें प्राथमिकता मिलनी चाहिए. क्योंकि वे एक उम्मीद एक आशा के साथ अपनी जमीन देते हैं. वर्तमान सरकार उनकी उम्मीद और आशाओं को जरूर पूरा करेगी. माराफारी को इंडस्ट्रियल टाउनशिप के रूप में स्थापित किया जाएगा. बुंदीबाद में झोपड़ी में चलने वाली दुकान को पक्का दुकान के रूप में तब्दील किया जाएगा. बियाड़ा और आयडा को सरकार मदद करेगी. क्योंकि लघु, मध्यम व कुटीर उद्योग रोजगार सृजन के वाहक होते हैं. हमें इन उद्योगों को बढ़ावा देकर रोजगार व स्वरोजगार का सृजन करना है. इसकी शुरुआत हो चुकी है.
बिजली पहुंचाते तो दिशोम गुरु कौन कहता
कांग्रेस और जेएमएम आदिवासी को सिर्फ वोट बैंक समझता है. अगर दिशोम गुरु गांव-गांव गरीब के घर तक बिजली पहुंचा देते तो फिर उन्हें दिशोम गुरु कौन कहता. उनके परिवार ने सिर्फ घूम-घूम कर आदिवासियों की जमीन को गलत तरीके से छीना है. मैं पूरी जिम्मेवारी से कहता हूं अगर वर्तमान सरकार ने ऐसा कुछ किया है तो आप खुलकर जनता को बताएं. हमने कहां किस आदिवासी की जमीन को छीना. झारखंड मुक्ति मोर्चा से बाप और बेटा दोनों मुख्यमंत्री बने. लेकिन आदिवासी संस्कृति और उनकी भाषा को संरक्षित करने का काम नहीं किया. बोकारो स्थित लुगूबुरु को वर्तमान सरकार ने विकसित किया. ओलचिकी भाषा में 1 से 5 क्लास तक की पढ़ाई को सुनिश्चित किया. सालों से राजनीतिक अस्थिरता का दंश झेल रहे आदिवासी समाज को केंद्र व राज्य सरकार के नेतृत्व में नई पहचान मिली है.