प्रेम आनंद,
रांचीः विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रदेश भाजपा ने बड़ा राजनीतिक धमाका कर दिया है. धमाका ऐसा किया कि विपक्ष का पूरा कुनबा ही बिखर गया. इस धमामे के विपक्षी खेमे में पूरा सन्नाटा पसर गया है. हाल यह है कि झामुमो और कांग्रेस की ओर से कोई प्रतिक्रिया भी नहीं आ रही है. इस राजनीतिक झटके से कांग्रेस और बीजेपी के लिए उबरना आसान नहीं होगा. मुख्यमंत्री रघुवर दास की मौजूदगी में कांग्रेस विधायक मनोज यादव, सुखदेव भगत, झामुमो विधायक कुणाल षाडंगी, भवनाथपुर विधायक भानू प्रताप शाही, पूर्व डीडीपी डीके पांडेय, आईपीएस अरूण उरांव और पूर्व आईएएस सुचित्रा सिन्हा अब भाजपा की हो गई हैं. इन सभी ने भाजपा का दामंन थाम लिया है. इससे पहले 2014 में चुनाव के झाविमो के छह विधायकों ने पाला बदलकर बीजेपी का दामन थामा था.
आखिर काम आई सीएम रघुवर दास की रणनीति
मुख्यमंत्री ने बीजेपी के 65 प्लस के मिशन को लेकर एड़ीं चोटी का जोर लगा दिया है. इसी रणनीति का परिणाम है कि बीजेपी विपक्ष को कोई मौका नहीं देना चाहती है. अब विपक्ष को इन सीटों पर नये उम्मीदवारों की तलाश होगी. बीजेपी के इस धमाके से विपक्ष का पूरा गणित ही गड़बड़ा गया है. कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत की पार्टी नेतृत्व से नराजगी थी. कई बार उन्होंने खुले मंच से भी कहा था कि लोहरदगा सीट से चुनाव हटाने में प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव की भूमिका रही. वहीं झामुमो के कुणाल षाडंगी का बैकग्राउंड बीजेपी का ही रहा है. मनोज यादव कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष के दावेदारों में से एक थे. लेकिन वे भी साइडलाइन कर दिए गए. पार्टी नेतृत्व से नराजगी के कारण उन्होंने भी भाजपा का दामन थाम लिया.
अब बीजेपी में दो आईएएस और दो आईपीएस
अब बीजेपी में दो ब्यूरोक्रेट्स हो गए हैं. पहले से जेबी तुबिद प्रदेश प्रवक्ता है. अब पूर्व आईएएस सुचित्रा सिन्हा ने भी बीजेपी का दाम थामं लिया है. वहीं दो आईपीएस डीके पांडेय और अरूण उरांव भी भाजपा के हो गए हैं. बीजेपी के सूत्रों के अनुसार जितने लोगों ने पार्टी का दामन थामा है, उनमें से अधिकांश को टिकट देने की गारंटी दी गई है. बीजेपी ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जीतने वाले उम्मीदवारों को ही टिकट दिया जाएगा. इधर, इन विधायकों के भाजपा में शामिल होने से उन विधानसभा क्षेत्रों से टिकट की आस लगाए बैठे पार्टी के नेता निराश हैं. विधायकों के शामिल होने के बाद विधानसभा चुनाव में टिकट इन्हें ही मिलेगा. ऐसे में भाजपा में भी बगावत होने की संभावना है. पहले से टिकट की आस लगाए पार्टी में काम करने वाले नेताओं के दूसरे दलों में जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.