धनबाद: केंद्र सरकार और रेलवे बोर्ड द्वारा प्रमुख ट्रेनों के परिचालन के लिए निजी ऑपरेटर को अनुमति दिए जाने के निर्णय के विरोध में AIRF के आह्वावान पर बुधवार को ईस्ट सेन्ट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन धनबाद मंडल ने धनबाद स्टेशन के समक्ष जोरदार विरोध प्रदर्शन किया.
इसका नेतृत्व अपर महामंत्री डी के पांडेय और केंद्रीय कोषाध्यक्ष मो ज़्याउद्दीन ने किया. जिसमें धनबाद प्रक्षेत्र के ईसीआरकेयू की सभी शाखाओं के युवा, सक्रिय तथा महिला रेलकर्मियों की बड़ी संख्या ने भाग लिया.
इससे पहले हिल कॉलोनी, धनबाद, स्थित यूनियन ऑफिस से एक जुलुश निकल कर स्टेशन पंहुचा जहां एक जन सभा हुई.
कामरेड डी के पांडेय ने उपस्थित रेलकर्मियों को बताया कि 4 अक्तूबर 2019 को आई.आर.सी.टी.सी (निगम) द्वारा तेजस एक्सप्रेस चलाए जाने के विरोध में हम सभी ने पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन किया था.
इसके बाद 9 अक्तूबर’19 को एआईआरएफ के महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा के नेतृत्व में एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने रेल मंत्री से मिलकर रेलों के परिचालन में निजी परिचालकों की भागीदारी के कारण उत्पन्न होने वाले विभिन्न खतरों के विवरण के साथ ज्ञापन देने का काम किया.
इस बैठक में उपस्थित अध्यक्ष रेलवे बोर्ड को रेल मंत्री महोदय ने निर्देशित किया कि मान्यता प्राप्त संगठनों से चर्चा और विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के बाद ही निजी क्षेत्र की भागीदारी को अंतिम रूप दिया जाए.
परन्तु, दूसरे ही दिन 10 अक्तूबर 2019 को रेलवे बोर्ड ने एक अधिसूचना जारी कर एक “ईम्पावरमेंट कमेटी” के गठन की घोषणा करते हुए 50 रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण, रखरखाव व संचालन सहित 150 प्रमुख ट्रेनों के परिचालन का जिम्मा निजी क्षेत्र को सौंपने के लिए सारी प्रक्रिया निर्धारित करने का अधिकार दे दिया.
इस प्रक्रिया के तहत इन स्टेशनों पर से तथा ट्रेनों से भारतीय रेल का अधिकार नहीं रहेगा और इस परिचालन से संबंधित वर्तमान में यहां कार्यरत रेल कर्मचारियों को भी हटा दिया जाएगा. अतः आज अपने नौकरी व भविष्य को बचाने के लिए हमें गंभीर निर्णय लेते हुए एकजुट होकर सरकार की इस नीति और निर्णय के खिलाफ विरोध किए जाने की जरूरत आ पड़ी है.
मो ज़्याउद्दीन ने अपने संबोधन में कहा कि यह तो शुरुआत है और फिर इसके बाद धीरे-धीरे नहीं बल्कि तेजी से अन्य रेलवे स्टेशन और ट्रेनों का परिचालन व संचालन का काम निजी क्षेत्र को दिए जाने की प्रक्रिया निर्धारण के लिए उक्त कमेटी ने नियमों को बनाने का काम शुरू कर दिया है.
केन्द्र सरकार और रेलवे बोर्ड के मजदूर विरोधी ऐसे निर्णय से कार्यरत रेल कर्मचारियों की नौकरियां जाने का खतरा उत्पन्न हो गया है तथा इस कदम से रेल परिचालन के संरक्षा के साथ भी छेड़छाड़ की संभावना रहेगी.
ये ट्रेन आम आदमी की पहुंच से दूर है क्योंकि इनका किराया निर्धारण निजी क्षेत्र मनमानी ढंग से कर रहे हैं जैसा कि तेजस एक्सप्रेस के मामले में देखा जा सकता है. अभी तक रेलवे आम यात्रियों के सेवा के प्रति समर्पित रहती थी लेकिन अब ये निजी ओपरेटर अपने फायदे के लिए तत्पर रहेंगे.
आम जनता को भी इसके लिए सजग रहने की जरूरत है और सरकार की इस नीति का विरोध के लिए आगे आना होगा. इस विरोध प्रदर्शन में केन्द्रीय उपाध्यक्ष वी डी सिंह, सहायक महामंत्री ओमप्रकाश, केंद्रीय संगठन मंत्री पी के मिश्रा सहित टी के साहू, एन के खवास, एस एन सिंह,ए के दा, एस के प्रसाद, पी के सिंह, इंद्रोमोहन सिंह, बसंत दूबे, के के सिंह, एन जे सुभाष, बी के साहू, प्रोसांतो बैनर्जी, जे पी सिंह, डी के बनर्जी, तपन बिस्वास, विश्वजीत मुखर्जी, एस एस मंजेश्वर रॉव, सोमेन दत्ता, जे के साहू,सुबोद सिंह, ए के दास आदि ने भाग लिया.