नई दिल्ली: तीस हजारी कोर्ट हिंसा मामला में दिल्ली पुलिस के सपोर्ट में पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी आ गई हैं. दिल्ली पुलिस में सीनियर पद पर काम कर चुकी किरण बेदी ने ईमानदार पुलिस वालों का सपोर्ट किया है. किरण बेदी ने एक मैसेज के जरिए ये कहा है कि कुछ भी हो जाए दिल्ली पुलिस को अपने रूख पर कायम रहना चाहिए.
उन्होंने तीस हजारी कोर्ट में पुलिस-वकीलों की हिंसक झड़प पर दिल्ली पुलिस को सलाह दी है कि पुलिस अपने रुख पर दृढ़ता से कायम रहे चाहे नतीजा कुछ भी हो. किरण बेदी ने 31 साल पुरानी घटना का भी जिक्र किया.
पुलिस-वकीलों की हिंसक झड़प पर प्रतिक्रिया देते हुए किरण बेदी ने कहा कि उन्होंने जनवरी 1988 में ऐसी ही स्थिति का सामना किया था जब सेंट स्टीफन कॉलेज में चोरी के लिए गिरफ्तार किए गए एक वकील को हथकड़ी लगाकर तीस हजारी अदालत में पेश किया गया था. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं अपने रुख पर कायम रही और वकील को हथकड़ी लगाने के लिए जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के निलंबन/गिरफ्तारी की वकीलों की मांग के आगे झुकी नहीं. ’’
उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के समय व्यक्ति ने अपने आप को वकील नहीं बताया था और साथ ही पुलिस को दूसरा नाम दिया था. उन्होंने कहा कि मौजूदा मामले में भी ‘‘दिल्ली पुलिस को अपनी बात मजबूती के साथ रखनी चाहिए और उस पर कायम रहना चाहिए चाहे नतीजा जो भी हो. ’’
डीजीपी रैंक की 1972 बैच की सेवानिवृत्त पूर्व आईपीएस अधिकारी बेदी ने कहा कि तीस हजारी में 1988 में पुलिस-वकील झड़प में वकील एसोसिएशंस ने उनके निलंबन तथा गिरफ्तारी की मांग की थी लेकिन तत्कालीन पुलिस आयुक्त वेद मारवाह ने मजबूती से उनका समर्थन किया और मांगों को नकार दिया था.
वह 1988 का जनवरी का महीना था जब दिल्ली पुलिस ने राजेश अग्निहोत्री नाम के वकील को गिरफ्तार किया था. सेंट स्टीफन कॉलेज के छात्रों ने उन्हें लेडीज कॉमन रूम से कथित तौर पर चोरी करते हुए पकड़ा था. घटना 16 जनवरी 1988 की है. पुलिस ने वकील अग्निहोत्री को हाथ में हथकड़ी लगाए तीस हजारी अदालत में पेश किया तो वकीलों ने इसे गैरकानूनी बताते हुए प्रदर्शन करना शुरू कर दिया.
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने वकील को उसी दिन दोषमुक्त कर दिया और साथ ही पुलिस आयुक्त को दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए. वकील, पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अपनी मांग के समर्थन में 18 जनवरी से हड़ताल पर चले गए. पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने 20 जनवरी को एक संवाददाता सम्मेलन में पुलिस की कार्रवाई को न्यायोचित बताया और कथित ‘‘चोर’’ को दोषमुक्त करने के मजिस्ट्रेट के आदेश की आलोचना की.
अगले दिन वकीलों के समूह ने तीस हजारी अदालत परिसर में ही स्थित बेदी के कार्यालय में उनसे मुलाकात करनी चाही तो उन पर लाठी चार्ज का आदेश दिया गया जिसमें कई वकील घायल हो गए. इसके बाद अगले दो महीने के लिए वकीलों ने दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में अदालतों में काम करना बंद कर दिया और बेदी के इस्तीफे की मांग की.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले की जांच के लिए न्यायाधीश डी पी वाधवा के नेतृत्व में दो सदस्यीय समिति गठित की जिसके बाद हड़ताल बंद की गई. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वकील को हथकड़ी लगाना गैरकानूनी था और उसने बेदी के तबादले की सिफारिश की.