ब्यूरो चीफ,
रांची: झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) प्रबंधन एक बार फिर न्यायालय के आदेश से फंस गया है. कोलकाता की नरेश कुमार एंड कंपनी के पक्ष में नेशनल कंपनी लॉ बोर्ड ट्रीब्यूनल (एनसीएलटी) ने सीपी (बी) 1141/kb/2018 की सुनवाई करते हुए न्यायाधिकरण के सदस्य न्यायिक और सदस्य तकनीकी हरीश चंद्र सुरी ने 28 नवंबर तक भुगतान करने का आदेश पारित कर दिया है. न्यायाधिकरण ने जेएसएमडीसी की संपत्ति जब्त कर भुगतान करने को कहा है. मामले पर अदालत ने कोलकाता के चार्टर्ड एकाउंटेंट राकेश कुमार अग्रवाल को इनसोलवेंसी प्रोफेशनल भी नियुक्त कर दिया है.
ये 28 नवंबर तक जेएसएमडीसी की संपत्ति, कार्यकलाप, लेखे-जोखे का रिपोर्ट तैयार कर एनसीएलटी को भेजेंगे. जेएसएमडीसी की तरफ से नरेश कुमार एंड कंपनी को 1,45,40.211.23 रुपये का भुगतान नहीं किया गया था. इस संबंध में कंपनी ने 11.6.212 को 65.10 लाख रुपये और 21.4.2017 को 59.20 लाख रुपये का बिल भी जेएसएमडीसी को भेजा था.
28 नवंबर को फिर होगी सुनवाई
जेएसएमडीसी द्वारा भुगतान नहीं किये जाने के मामले पर बैंकरप्शी कोड 2016 के तहत 28 नवंबर 2019 को फिर सुनवाई होगी. 2018 में नरेश कुमार एंड कंपनी की तरफ से एनसीएलटी में शिकायतवाद दर्ज करायी गयी थी. इसमें यह कहा गया था कि 2012 में खान एवं भूतत्व विभाग की तरफ से लातेहार कोल ब्लॉक और बूढ़ाखाप कोल ब्लाक में कोयले का भंडार, जियोफिजिकल लॉगिंग, जियो फिजिकल सर्वेक्षण करने, ड्रिलिंग करने और उसकी गुणवत्ता का पता लगाने का कार्यादेश दिया गया था.
इसके बाद केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद पूर्व में आवंटित कोल ब्लॉक और लौह अयस्क माइंस को रद्द करने का आदेश दिया. इसमें लातेहार कोल ब्लॉक भी सरकार के हाथ से निकल गया और कंपनी को भुगतान नहीं किया गया. इससे जेएसएमडीसी में तहलका मचा हुआ है. न्यायाधीकरण द्वारा नियुक्त अधिकारी जेएसएमडीसी में जाकर निगम की संपत्ति और दायित्व का पता करें. कंपनी के खातों की भी निगरानी भी मामले के विचाराधीन रहने तक ये अधिकारी करेंगे.
क्या दलील दे रहे हैं निगम के अधिकारी
जेएसएमडीसी के सीएमडी सह खान सचिव अबू बकर सिद्दिकी ने इस बाबत पूछे जाने पर कहा कि वह मीटिंग में हैं. जवाब नहीं दे सकते हैं. वहीं सिंकनी कोलियरी के प्रभारी सह जियोलॉजिस्ट प्रवीर कुमार ने कहा कि कुछ गंभीर बात नहीं है. हमें खान एवं भूतत्व विभाग की तरफ से भुगतान करने की अनुमति नहीं दी गयी थी. अनुमति मिलने के बाद जेएसएमडीसी के निदेशक मंडल ने आनन फानन में पैसे का भुगतान करने का निर्णय भी लिया. एक करोड़ के भुगतान में देर के बाबत उन्होंने प्रशासनिक कारण बताया और कहा कि सब सेटेल हो गया है, भुगतान हो रहा है.
निगम की तरफ से एनसीएलटी के मामले पर कानून प्रकोष्ठ प्रदीप शाह को जवाबदेही दी गयी थी. वे ही जेएसएमडीसी का पक्ष एनसीएलटी में रखते थे. इतना ही नहीं निगम ने तीन अधिकारियों को सलाहकार भी बनाया था, जिसमें प्रवीर कुमार भूतत्ववेत्ता, मनीष कुमार, मुकूल कुमार और अन्य शामिल थे. निगम के महाप्रबंधक अजीत शंकर को निगरानी करने की जवाबदेही दी गयी थी.
क्या होगा जजमेंट का अनुपालन नहीं होने पर
एनसीएलटी के आदेश का अनुपालन नहीं होने पर निगम की संपत्ति की निलामी हो सकती है. अदालत ने स्पष्ट कहा है कि पैसे का भुगतान निगम की संपत्ति से याचिकादाता अपने तरीके से करें. न्यायाधीकरण की तरफ से ऑपरेशनल क्रेडिटर यानी जेएसएमडीसी को तत्काल दो लाख रुपये का भुगतान भी एसक्रो खाते में करने को कहा गया है.
नरेश कुमार एंड कंपनी को आदेश में दिये गये राशि का भुगतान नहीं होने तक इसी कंपनी के अधिकारी जेएसएमडीसी के अस्थायी निदेशक मंडल के रूप में काम करेंगे. यहां यह बताते चलें कि यह पहला अवसर होगा, जब किसी सरकारी एजेंसी का पार्टियली अधिग्रहण कोई निजी कंपनी कर लेगी. इतना ही नहीं यहां पर काम कर रहे 400 से अधिक कामगारों की नौकरी पर भी खतरा मंडराने लगेगा.