महाराष्ट्र में चल रहा कुर्सी की लड़ाई अब काफी दिलचस्प हो गई है. विधानसभा चुनाव के नतीजों का ऐलान हुए करीब 15 दिन बीत चुके हैं लेकिन अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि सरकार कब बनेगी? मुख्यमंत्री कौन होगा? बहुमत हासिल करने वाले बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के सत्ता संग्राम पर कांग्रेस और एनसीपी चटकारे ले रहीं हैं.
शिवसेना जहां मुख्यमंत्री पद को लेकर अड़ी हुई है वहीं बीजेपी बड़े भाई की भूमिका से कोई समझौता करने के मूड में नहीं है. इस सियासी ड्रामे का क्लाइमेक्स भी अब नजदीक है. दोनों सहयोगी दलों के पास सरकार बनाने के लिए करीब 48 घण्टे शेष हैं. 9 नवंबर को मौजूदा महाराष्ट विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो जाएगा. इस बीच राज्य में यदि किसी पार्टी की सरकार नहीं बनी तो राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लागू हो सकता है.
इस बीच महाराष्ट्र में गुरुवार को सियासी हलचल और भी तेज हो गयी है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के निवास स्थल मातोश्री में सेना के विधायकों की बैठक हुई है. शिवसेना ने अपने सभी विधायकों को यहां के होटल भेज दिया है. शिवेसना को डर है कि बीजेपी कहीं उसके विधायकों की खरीद-फरोक्त न कर ले. शिवसेना के विधायक फाइव स्टार होटल रंग शारदा में भेजे गए हैं. उधर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का एक दल राज्यपाल राज्यपाल से मिलने पहुंचा. बीजेपी का कहना है कि वह अल्पमत की सरकार नहीं बनाएगी. राज्यपाल से मिलने वाले प्रतिनिधि मंडल में बीजेपी नेता चंद्रकांत पाटिल और सुधीर मुनगंटीवार शामिल हैं. दोनों नेता राज्यपाल से मिलने से पहले मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से मिले. अटकलें हैं कि बीजेपी सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है.
किंगमेकर मानी जा रही है शरद पवार की पार्टी एनसीपी पहले साफ कर चुकी है कि वह विपक्ष में बैठेगी. शिवसेना दावा कर रही है कि उसके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी 165 विधायकों का समर्थन हासिल है. ऐसी चर्चा है कि बीजेपी के साथ बात न बनने पर शिवसेना और एनसीपी सरकार बना सकती हैं. बुधवार को शिवसेना सांसद संजय राउत और शरद पवार की मुलाकात भी हो चुकी है. शिवसेना को समर्थन देने के पक्ष में कांग्रेस नेता भी हैं. बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए कोई ताज्जुब नहीं कि कांग्रेस शिवसेना के साथ हो जाए.
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा में कुल सदस्य संख्या 288 है. सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत 145 है. 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के 105, शिवसेना के 56, एनसीपी के 54 और कांग्रेस के 44 विधायकों को जीत हासिल हुई है. जबकि 13 निर्दलीय विधायक चुने गए हैं. जबकि राज्य की अन्य छोटी पार्टियों के भी 14 विधायक किसी भी खेमे में जा सकते हैं. अब देखना यह है कि महाराष्ट की सियासत अगले कुछ घण्टों में क्या रंग दिखाती है. जनता को चुनी हुई सरकार मिलेगी या राष्टपति शासन लगेगा?