कोयंबटूर/रांची: यह मेरे लिए खुशी की बात है कि मैं दीक्षांत समारोह में आप सभी को संबोधित कर रहा हूं. मुझे दो स्थानों में दीक्षांत समारोह में शामिल होने का अवसर मिला है, जो मेरे लिए सुखद अनुभूति है.
यूनिवर्सिटी से जुड़ कर मुझे बहुत कुछ सीखने का मौका मिला जो मेरे मुझे सुकून पहुंचाता है. ये बातें मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. सुनील कुमार वर्णवाल ने रामकृष्ण मिशन विवेकानंद एजुकेशनल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट कोयंबटूर में आयोजित दीक्षांत समारोह में कही.
डॉ वर्णवाल ने कहा कि रामकृष्ण मिशन सही मायने में स्वामी विवेकानंद के शिक्षा के प्रति नजरिया को अपने विभिन्न संस्थानों के माध्यम से बच्चों के मन मस्तिष्क को सिंचित करने में जुटा है.
मानव बनने के लिए मानवता का होना जरूरी
मुझे याद है जब मैं आईजी कारा के तौर पर कार्यरत था. उस समय मुझे जीवन के प्रति नजरिए को जानने व समझने का अवसर मिला.
मुझे लगता है कि मानवीय संवेदना बहुत जरूरी है. शिक्षा ही व्यक्तित्व को सम्पूर्ण और उदात्त बनाता है.
एक मानव का सही मायने में मानवीय संवेदना मानव बनने के लिए जरूरी है. मेरा मानना है कि व्यक्ति को सीखने की इच्छा को कभी समाप्त नहीं करना चाहिए.
निरंतर सीखने की प्रवृत्ति बहुत कुछ हमें दे जाती है. विवेकानंद जी भी हमेशा कहा करते थे जब तक मैं जीवित हूं तब तक शिक्षा सीखता रहूंगा.
अब मेरी बारी मेरी भी कुछ जिम्मेवारी है
डॉ वर्णवाल ने बताया कि लोक प्रशासन के क्षेत्र में काम करते हुए हमें अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों के निर्वहन व समाज के कल्याण का ध्यान होना चाहिए.
इससे भी जरूरी हमें उनके लिए काम आना चाहिए, जिन्हें सही मायने में हमारे सहयोग की जरूरत है.
जब मैं सर्व शिक्षा अभियान में प्रोजेक्ट डायरेक्टर कार्यरत था और कार्य के दौरान विभिन्न स्कूलों के परिभ्रमण में मैं हमेशा अपने स्कूल के दिनों को याद करता था.
मैं स्कूलों की स्थिति और टीचर शिक्षकों से मिले मार्गदर्शन को स्मरण करता था और सोचता था कि अब मेरी बारी है।. मैंने जो सीखा है उसे अब मुझे लौटना है, ताकि वर्तमान समय में बच्चों को बेहतर शिक्षा से आच्छादित किया जा सके.