रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भारत निर्वाचन आयोग द्वारा डाक मतपत्र के माध्यम से 80वर्ष से अधिक उम्र के नागरिकों व दिव्यांग मतदाताओं को सुविधा उपलब्ध कराने के शुरू की गयी नयी व्यवस्था को लेकर कई तरह की आशंकाएं प्रकट की है.
झामुमो की ओर से मुख्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर कहा गया है कि 2 नवम्बर 2019 को अधिसूचित सूचना अनुसार भारतीय निर्वाचन पद्धती में मतदान के स्वरूप को नयी दिशा देने का कार्य किया गया.
इस पत्र के द्वारा यह सूचित किया गया कि उक्त प्रकार के मतदाता गण जो अनुपस्थित मतदाता श्रेणी में आते हैं, जिनकी आयु 80 वर्ष से अधिक हो, जिन्हें एवीएससी तथा दिव्यांग जन, जिन्हें एवीपीडी श्रेणी में कहा जाता है.
उनके द्वारा यदि डाक मतपत्र का प्रयोग करना है, वैसे शर्त में उन्हें परिपत्र 12 (डी) के तहत निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष आवेदन देना है, तब प्रश्न यह है कि जब संबंधित उक्त व्यक्ति निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष जा सकते हैं तो यह कौन सी बाधा होगी कि उन्हें डाक मतपत्र उपलब्ध करवाने कि प्रक्रिया सुनिश्चित की जा रही है.
पार्टी की ओर से यह भी कहा गया है कि डाक मतपत्र संबंधित प्रबुद्ध मतदाता तक उपलब्ध करवाने एवं संग्रह करने का दायित्व मतदान पदाधिकारी पर होगा, जो सरकारी कर्मचारी होता है, के द्वारा एवीएससी एवं एवीपीडी श्रेणी के मतदाताओं के घर पहुंच कर उन पर किसी विशेष राजनैतिक दल या व्यक्ति के पक्ष में मतदान करने के लिए क्या प्रेरित या प्रलोभित नहीं किया जाएगा?.
क्या मतदाता के निजता का सम्पूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित की गई है अर्थात गुप्त मतदान की सत्यता प्रति मतदाता के गुप्त मतदान की पात्रता की रक्षा कैसे सुनिश्चित की जाएगी. पार्टी की ओर से यह भी कहा गया है कि मतपत्र या मतपेटी का महत्व राजस्व परिपत्र के सम होता है.
मत पेटियों की एवं मतपपत्रों के सुरक्षा का सम्पूर्ण दायित्व न्यायिक दण्डाधिकारी एवं सशस्त्र सुरक्षा व्यवस्था के द्वारा की जाती है. निर्वाची पदाधिकारी वं मतदान पदाधिकारी यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि डाक मतपत्र हर हाल में सुरक्षित रहेगा.
झामुमो ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की यह सुन्दरता एवं भव्यता है कि अपने मताधिकार के प्रयोग के लिए समाज के वृद्ध जन, दिव्यांग जन, जागरूक मतदाता के रूप में अपनी पहचान बनाते आई है एवं विभिन्न विघ्न-बाधाओं को उत्तार्ण कर प्रयोग करते आई है.
क्या अब इस नयी पद्धती से उनके जागरूकता एवं मतदान के प्रति विराट वचन बद्धता की भावना को ठेस नहीं पहुँचेगा.
झामुमो की ओर से आयोग से अपील की गयी है कि मतदान के नई व्यवस्था के तहत अपनाई जाने वाली मतदान पद्धति की पुनः समीक्षा कर व्यवहारिक एवं पुरानी मतदान व्यवस्था को ही पुनः स्थापित करें.