उत्तर प्रदेश: सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. माना जा रहा है कि अगले साल 2 अप्रैल को भगवान राम के जन्मदिन रामनवमी के दिन एक विशेष कार्यक्रम में भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हो सकता है. इस मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि राम मंदिर के निर्माण के लिए टाइमलाइन सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर के आदेश के मुताबिक ही है.
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर निर्माण के लिए तीन माह के अंदर मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है. यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि यह राम मंदिर का शिलान्यास होगा या नहीं, क्योंकि वर्ष 1989 में राम मंदिर का शिलान्यास हो चुका है. मंदिर बनाने में दो से तीन साल का समय लग सकता है. उधर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय ने अयोध्या के जिलाधिकारी से मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन के लिए 3-4 वैकल्पिक स्थलों की पहचान करने के लिए कहा है. अहम लोकेशन वाला भूखंड सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए दिया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक विवादित 2.77 एकड़ जमीन प्रस्तावित ट्रस्ट को सौंपने और पांच एकड़ जमीन सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को देने का काम एक साथ होना है. वक्फ बोर्ड इसी महीने तय करेगा कि क्या वह पांच एकड़ जमीन लेगा और अगर हां तो कहां कि जमीन लेगा. राम मंदिर ट्रस्ट दूसरे बड़े मंदिरों की तरह सोमनाथ ट्रस्ट, अमरनाथ श्राइन बोर्ड या माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर बन सकता है. केंद्र को विवादित स्थल के आसपास अधिग्रहीत 62.23 एकड़ जमीन के बाकी हिस्से का कब्जा प्रस्तावित ट्रस्ट को सौंपना होगा.
जमीन का 43 एकड़ हिस्सा राम जन्म भूमि न्यास से अधिग्रहीत किया गया था, इसलिए ट्रस्ट में न्यास का भी प्रतिनिधि हो सकता है. न्यास ने अधिग्रहण के समय जमीन के लिए सरकार से कोई मुआवजा नहीं लिया था. बाकी 20 एकड़ जमीन पर मानस भवन, संकट मोचन मंदिर, कथा मंडप और जानकी महल जैसे निकायों का मालिकाना हक है.