ब्यूरो चीफ
रांची: राज्य गठन के 19 साल में अब तक प्रदेश वासियों ने 10 मुख्यमंत्रियों को देखा है. अब 11 वें मुख्यमंत्री की बारी है. अब तक सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ही रहे. उन्होंने 35 साल की उम्र में सीएम का पद संभाला था. झारखंड विधानसभा का चुनावी बिगुल बज चुका है. सभी दल एक दूसरे को पटखनी देने में शह और मात की बिसात खेल रहे हैं. इस बार 60 प्लस उम्र के नेताओं की भरमार है. देखना यह है कि क्या फिर नया नौ दिन और पुराना 100 दिन वाली कहावत दुहराएगी.
सभी दलों में 60 प्लस कैंडिडेट पर सबसे अधिक भरोसा
चुनावी अखाड़े में कमोवेश सभी दलों को 60 प्लस कैंडिडेट पर ही अधिक भरोसा है. इसके पीछे तर्क यह भी है कि अनुभवी कैंडिडेट फंड मैनेजमेंट से लेकर बूथ मैनेजमेंट बेहतर तरीके से हैंडल कर सकते हैं. भाजपा हो या कांग्रेस, झामुमो हो या आजसू, जदयू, लोजपा सभी ने अनुभवी प्रत्याशियों पर ही दांव लगाया है. भाजपा की बात करें, तो निर्वतमान मंत्री सीपी सिंह, रामचंद्र चंद्रवंशी, मनोज यादव, निर्भय शाहाबादी, जैसे बुजुर्ग नेताओं पर भरोसा किया है.
वहीं कांग्रेस की तरफ से ददई दुबे, राजेंद्र सिंह, निर्वतमान विधायक आलमगीर आलम, केएन त्रिपाठी, मन्नान मलिक, डॉ रामेश्वर उरांव, उमाशंकर अकेला जैसे कद्दावर नेता उतारे गये हैं, जिनकी उम्र 60 से अधिक है. आजसू की तरफ से भाजपा के बागी विधायक राधाकृष्ण किशोर को उतारा गया है, झामुमो की तरफ से चंपाई सोरेन, नलिन सोरेन, साइमन मरांडी, की भी उम्र 55 से अधिक हो चली है.
अब तक सीएम के रूप में रघुवर का ही कार्यकाल हो सका है पूरा
रघुवर दास राज्य के पहले ऐसे सीएम हैं, जिन्होंने कार्यकाल पूरा किया है. इसके पहले 14 साल में 9 सीएम बदले. पहले सीएम बाबूलाल मरांडी को 3 साल में ही अपदस्थ होना पड़ा. इसके बाद अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा व हेमंत सोरेन भी कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. इसके अलावा तीन बार प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लगा. पहली बार 19 जनवरी 2009 से 29 दिसंबर 2009 तक राष्ट्रपति शासन रहा. फिर 1 जून 2010 से 10 सितंबर 2010 तक व तीसरी बार 18 जनवरी 2013 से 13 जुलाई 2013 तक रहा.