सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक बार फिर प्रदेश की योगी सरकार को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने कहा कि सूबे में चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है. बीजेपी सरकार की इसे लेकर लापरवाही घोर अमानवीयता की पराकाष्ठा है. लोग डेंगू से मर रहे हैं. मलेरिया का प्रकोप फिर बढ़ा है. टीबी के मरीज बढ़े हैं. अस्पतालों में इलाज की जगह मरीजों को तकलीफ और संक्रमण बंट रहा है. अव्यवस्था का ऐसा आलम है कि अब राज्य में सामान्य आदमी की जिंदगी हर दिन खतरे में रहती है.
अखिलेश ने कहा कि खुद मुख्यमंत्री गृह जनपद गोरखपुर में जापानी बुखार पर नियंत्रण नहीं पा सके. वहीं, डेंगू की बीमारी फैलने से दर्जनभर लोगों की मौंते हो गई. सहारनपुर में 5 मौते डेंगू से हो गई हैं. जिलों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रो में तो बुरी हालत है. न तो मरीजो की जांच की सुचारू व्यवस्था है और नहीं दवाएं मिल पाती है.
उन्होंने कहा कि राजधानी लखनऊ में रोज ही किसी न किसी के डेंगू की बीमारी से मौत की खबरें आती हैं. यहां कई मौतें हो चुकी हैं। कई वरिष्ठ अधिकारी, नेता और छात्र भी डेंगू के शिकार हुए हैं. बीजेपी की एक महिला नेत्री और छात्रा की कल ही मौत हुई. यहां डेंगू मरीजों की संख्या 1100 तक पहुंच चुकी है. कई अस्पतालों में डेंगू की जांच किट भी नहीं है. बलरामपुर अस्पताल में बुधवार को ही 3100 से ज्यादा बुखार के बीमार पहुंचे। सिविल, लोहिया, मेडिकल कालेज, में भी यही स्थिति है। वार्डों में मरीजों की भीड़ हैं। तमाम बीमारों को तो बिना इलाज वापस किया जा रहा हैं.
सपा प्रमुख ने कहा कि बीजेपी सरकार को जनता की दिक्कतों की कोई फिक्र नहीं. सत्ता सुख में उन्हें जनता की बीमारियों से मौत से कोई संवेदना नहीं है. कानपुर नगर और ग्रामीण क्षेत्र में सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पताल डेंगू मरीजों से भरे हुए हैं. शासन के दबाव से डेंगू मरीजों की संख्या और मौतों की जानकारी नहीं दी जाती है फिर भी अनुमान है कि प्रतिदिन आधा दर्जन मरीज डेंगू से मर रहे हैं. बिल्हौर विधानसभा के पिहानी गांव में 5 हजार की आबादी में 16 लोगों की मौत हो चुकी है. 400-500 मरीज अस्पतालों में भर्ती है। कानपुर के बिठूर विधानसभा क्षेत्र में डेंगू बुखार से 20 लोगों की मौत होने, विधानसभा कल्याणपुर में 13 और विधानसभा महाराजपुर में 24 लोगों की मौते होने की खब़र है. शासन-प्रशासन का रवैया निहायत निंदा योग्य है। भाजपा सरकार इन मौतों के दायित्व से बच नहीं सकती है.
अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी सरकार में एक रूपए के पर्चे पर गंभीर रोगों तक के मुफ्त इलाज की व्यवस्था थी। अस्पतालों को दवाओं का पर्याप्त बजट मिलता था. डाक्टर भी नियमित रूप से ओपीडी में बैठ रहे थे. उनकी सुविधाओं पर भी ध्यान दिया गया था. बीजेपी की सरकार बनते ही स्वास्थ्य क्षेत्र में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई है. गरीब का इलाज मुश्किल है. अस्पतालों में वसूली की शिकायतें आने लगी हैं. जनता इस सबसे गहरे असंतोष और आक्रोश में हैं. खुद राज्यपाल की पिछले दिनों टिप्पणी थी कि प्रदेश के अस्पतालों में कमीशनबाजी चल रही है इससे बेफिक्र प्रदेश की बीजेपी सरकार चेती नही, बल्कि पूरी स्वास्थ्य सेवाएं ही चौपट हो गयी.