देश के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी के भाई अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकाॅम) दिवालिया हो चुकी है. कर्ज के जाल में फंसी कंपनी को उबारने के लिए अनिल अंबानी ने काफी प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिल. जिसके बाद अनिल अंबानी ने आरकाॅम के डायरेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया है. कंपनी ने इस बात की जानकारी शनिवार को रेग्युलेटरी फाइलिंग में दी है. अंबानी के साथ कंपनी के अन्य चार बड़े पदाधिकारियों ने भी पद से इस्तीफा दे दिया है. जिनमें छाया विरानी, मंजरी कक्कड़, रायना करानी और सुरेश रंगचर ने निदेशक पद से इस्तीफा दिया है. हालांकि इन सभी के इस्तीफे अभी स्वीकार नहीं किए गए हैं.
जुलाई-सितंबर तिमाही में आरकॉम को 30,142 करोड़ का घाटा
रिलायंस कम्युनिकेशंस दिवालिया प्रक्रिया में है. शुक्रवार को आरकाॅम ने इस वर्ष की दूसरी तिमाही के नतीजे जारी किए. जुलाई-सितंबर की तिमाही में कंपनी को 30,142 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. किसी भारतीय कंपनी का यह दूसरा बड़ा तिमाही घाटा है. कंपनी ने इससे पहले वित्त वर्ष में इसी तिमाही में 1141 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था. वहीं इस तिमाही के दौरान कंपनी की आय घटकर 302 करोड़ रुपये रह गई, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 977 करोड़ रुपये थी. फिलहाल शेयर बाजार में आरकॉम का शेयर 59 पैसे पर है.
एजीआर के लपेटे में आरकॉम
तिमाही नतीजे जारी करते हुए आरकाॅम ने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में कंपनी ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) के बकाया भुगतान के लिए 28,314 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है जिसके चलते इतना नुकसान हुआ. आरकाॅम की कुल देनदारियों में 23,327 रुपए का लाइसेंस शुल्क और 4,987 करोड़ रुपए का स्पेक्ट्रम यूज शुल्क शामिल है. एजीआर एक तरह का यूजेज और लाइसेंस शुल्क है जो दूरसंचार मंत्रालय द्वारा टेलीकाॅम कंपनियों से वसूला जाता है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र और टेलीकाॅम कंपनियों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केन्द्र के हक में फैसला सुनाया था.
चीन के बैंकों ने दर्ज कराया है मामला
बता दें कि वित्तीय संकट से गुजर रहे अनिब अंबानी पर हाल ही में चीन के तीन बड़े बैंकों ने भी लंदन कोर्ट में करीब 47,600 करोड़ रुपए न चुकाने का मामला दर्ज कराया था. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन के इन बैंकों का दावा है कि अनिल अंबानी की निजी गारंटी की शर्त पर आरकाॅम को 2012 में उन्होंने करीब 65 हजार करोड़ रुपए का कज्र दिया था. तब अनिल अंबानी ने इस लोन की पर्सनल गारंटी लेने की बात कही थी लेकिन फरवरी 2017 के बाद कंपनी लोन चुकाने में डिफॉल्ट हो गई.