कद्ददू या लौकी के फायदे से तो आप सभी वाकिफ होंगे पर आज हम आपको एक ऐसी लौकी की जानकारी दे रहें हैं जो आपको शायद ही मालूम हो… इस खबर को पूरा पढ़े नहीं तो हो सकता है नुकसान.
रांची : कभी-कभी प्रकृति का अजब-गजब रूप देखकर इंसान आश्चर्यचकित रह जाता है. कद्दू को हम लोगों ने अब तक लतर में ही उगते देखा है. लगभग सभी लोगों ने घर के छजे, दीवार व छत पर लगे लौकी को जरुर देखा होगा। अक्सर लौकी लतर में ही उगती है… लेकिन क्या कभी आपने लौकी का पेड़ देखा है. शायद नहीं देखा होगा. एक ऐसा पेड़ है जिसमें लौकी उगती है.
तो आइये हम आपको रु ब रु कराते हैं हजारीबाग में फले कद्दू के पेड़ से.
ये है लौकी का पेड़. इस पेड़ की उचाई 20 से 40 फीट होती है. और इसपर फलने वाला कद्दू 20 इंच की गोलाई में है. आपको बतां दें की इसको लगाने के बाद आपको 5 साल का इन्तजार करना होगा . इसके फल के लिए मतलब 1 साल लगाओ और 4 से 5 साल बाद हर साल आपको मिलेगा कद्दू. इस पेड़ में गोलाकार लौकी उगते है. दूर से देखने पर लगता है कि यह शायद किसी फल या आम का पेड़ है. इसके तनों की मोटाई भी आम के पेड़ों की तरह होती है. यह डालियों व घनी पतियों से भरा रहता है. इसकी पत्तियां देखने में अमरूद की पत्तियों जैसी होती है.
आइए अब इसके बीज के बारे में जानते है
इसका बीज पतला और गहरे भूरे रंग का होता है लोग इसे नर्सरी से लेकर लगाते हैं.
पर ये तो हुई सामान्य बात, अब जानते है इस कद्दू की सच्चाई
यह कोई आम खानेवाला कद्दू नहीं है, यह औषधीय महत्व वाला कद्दू है. और इसका इस्तमाल पारंपरिक दवाई ओर मधुमेह के नियंत्रण में होता है.
अमेरिकन मूल का यह पौधा फूल के लिए लगाया जा सकता है. इसे अंग्रेजी में (Kalabash) कलाबस कहते हैं. वनस्पति विज्ञान इसे (Crescentia cujete)क्रिसेंटिया कुजेटे कहते हैं. यह(Bignoniaceae) बिगनोनियासियेयी परिवार का पौधा है. आपको बता दें की एक देश है (St. Lucia.) सेंट लुसीया यह वहां का राष्ट्रीय पौधा है. इस कद्दू को बिना जानें समझे नहीं खाएं. नुकसान भी हो सकता है. हजारीबाग में ऐसे दो पौधों की पहचान हुई है.
कद्दू के नाम पर इस्तेमाल होने वाले इस फल को खाने से कृषि वैज्ञानिक मना कर रहे हैं.
BNN BHARAT को यह जानकारी हजारीबाग से मुरारी सिंह ने दी