रांची: झारखंड विधानसभा के 19वीं वर्षगांठ पर आज सभा सचिवालय के अधिकारियों- कर्मचारियों द्वारा आचार संहिता का निर्वहन करते हुए सादे तौर पर स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में सचिव महेंद्र प्रसाद, अपर सचिव विनय कुमार सिंह, जावेद हैदर समेत अन्य ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की.
विधानसभा सचिव महेंद्र प्रसाद ने कहा कि वे न्यायिक सेवा के पदाधिकारी के रूप में यहां पदस्थापित हुए थे, लेकिन वे पदाधिकारियों औैर कर्मचारियों के सहयोग से काफी कम समय में ही विधायकी कार्य शैली को समझने का अवसर प्राप्त हुआ. उन्हांने कहा कि वे किसी कर्मी को दंडित करने की मंशा नहीं रखते है, परंतु कर्त्तव्य निर्वहन में असफलता के कारण किसी को दंड दिया जाता है, तो यह प्रशासनिक विवशता है.
मंच का संचालन संयुक्त सचिव मिथिलेश कुमार मिश्र द्वारा किया गया. उन्होंने झारखंड की लोक संस्कृति और सांस्कृतिक विरासत तथा लोक भाषा को जोड़ते हुए कहा कि जिस राज्य या राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत अक्षुण्ण रहेगी, वह कभी पतन की ओर नहीं बढ़ सकता है. संपूर्ण भारत देश में झारखंड ही एक ऐसा प्रदेश है,जहां 16 भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त है, जो अनेकता में एकता का परिचायक है.
उन्होंने लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष जीवी मालवंकर का जिक्र करते हुए बताया कि संसद में एक पृथक लोकसभ सचिवालय होना होना चाहिए, जो कार्यपालक के नियंत्रण से मुक्त हो, ताकि उसके कर्मी को अनावश्यक दबाव से मुक्त रखा जा सके. विधायिका में कार्य करने वाले कर्मी सामान्य कर्मियों से भिन्न होते है, जो जनप्रतिनिधियों को पूर्ण सम्मान देते हुए विधायिका के समस्त कार्यां का निष्पादन करने में दक्ष होने चाहिए.
स्वागत भाषण में संयुक्त सचिव मधुकर भारद्वाज ने बताया कि झारखंड विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष के रूप में 22 नवंबर को झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष ने आसन ग्रहण कर कार्यभार संभाला था,उसी समय से आज के दिन झारखंड विधानसभा का स्थापना दिवस मनाया जा रहा है. विधानसभा के अपर सचिव विनय कुमार सिंह ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र के प्रावधानों के तहत गठित विधानसभा सचिवालय के समस्त पदाधिकारी और कर्मी अपनी सेवा से विधायिका और कार्यपालिका के बीच सेतु का कार्य करते है.