गुमला: होटल रिपॉज में प्रेस वार्ता आयोजित कर वनधिकार कानून 2006 को लेकर झारखंड वनाधिकर मंच और आईएसबी के द्वारा अध्ययन रिपोर्ट पर चर्चा किया गया. अध्ययन में पाया गया है की झारखंड विधानसभा चुनाव में भले ही राजनीतिक दल और उम्मीदवार अपने-अपने एजेंडे बताते रहें हों, लेकिन अध्ययन बताता है कि वनों पर सामुदायिक मालिकाना का मदद जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. 2014 के विधान सभा चुनाव के परिणाम के अध्ययन और जमीनी हालत बताते हैं कि कुल 62 विधानसभा सीटों पर वनाधिकार निर्णायक साबित हुआ है.
वनाधिकार के मामलों में राज्य की जनता ने भाजपा और जेएमएम पर कांग्रेस की तुलना में ज्यादा भरोसा किया है. भले ही वनाधिकार कानून को 2006 में कांग्रेस की सरकार ने लायालेकिन 2014 के चुनाव में एसटी के आरक्षित 28 सीटों में जेएमएम को 13 एवं भाजपा को 11 सीटें मिली. कांग्रेस दो सीटों पर रनर अप जरूर रही लेकिन एक भी रिज़र्व सीट पर जीत हासिल नहीं हुआ. राज्य की 10 क्रिटिकल वैल्यू वाली सीट पर 2014 के चुनाव में भाजपा को 5, जे.एम.एम को एक एवं अन्य को 4 सीटों पर जीत हासिल हुई है.
हाई वैल्यू की 26 सीटों पर भाजपा को 9, जे एम एम को 11, एवं अन्य को 6 सीटों पर जीत हासिल हुआ. गुड वैल्यू वाली 26 सीटों में भाजपा को 12,जे एम एम को 7 एवं अन्य को 7 सीटें मिली. क्रिटिकल वैल्यू से आशय जिन विधानसभा क्षेत्रों में वन संसाधनों पर एक लाख से ज्यादा आदिवासी एवं एस सी आबादी आश्रित हैं और उनका दावा जंगल पर वनाधिकार कानून के तहत बनता है.
हाई वैल्यू वाली सीटों से आशय 50 हज़ार से एक लाख आदिवासी एवं एससी कीनिर्भरता है. इसी प्रकार गुड़ वैल्यू से आशय जिन क्षेत्रों में 10 हज़ार से 50 हज़ार तक आदिवासी और एससी आबादी जंगल पर दावेदारी के योग्य हैं. प्रेस वार्ता में झारखंड वन अधिकार मंच संयोजक मंडली के अनिल भगत, रोज खाखा राज्य समन्वयक भय भंजन महतो, झारखंड वन अधिकार मंच के सहयोगी संगठन ग्राम उत्थान केंद्र के फादर सीप्रीयण, जे जे बी ए से शिव कुमार, सितारा से प्रदीप सहित कई लोग उपस्थित हुए.