नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट रविवार सुबह 11.30 बजे शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की संयुक्त याचिका पर सुनवाई करेगी. अपनी याचिका में इन तीनों दलों ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा देवेंद्र फडणवीस को शपथ दिलाने के निर्णय को रद्द करने की मांग की है. साथ ही याचिका में जल्द से जल्द विधानसभा में बहुमत हासिल करने का निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में राज्यपाल के फैसले को मनमाना और असंवैधानिक बताया गया है. साथ ही इसमें कहा गया है कि उनके गठबंधन के पास 154 विधायकों का समर्थन है.
तीनों दलों द्वारा संयुक्त रूप से दायर इस याचिका में राज्यपाल के इस निर्णय को मनमाना और असंवैधानिक बताया है. याचिका में तीन दलों के इस गठबंधन ने कहा कि उनके पास 144 से अधिक विधायक हैं और शुक्रवार को इन तीनों दलों के बीच न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार किया गया था और शुक्रवार को शाम सात बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा की गई कि उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री होंगे और वह राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे.
याचिका में कहा गया कि राज्य में गैर भाजपा सरकार बनने की संभावना देखते हुए शुक्रवार आधी रात के बाद भाजपा ने अपने राजनीति तंत्र का बेजा इस्तेमाल कर आनन-फानन में फडवणीस को सरकार बनाने का रास्ता प्रशस्त किया. याचिका में कहा गया कि शुक्रवार की रात को राज्यपाल का राज्यपाल महाधिवेशन में जाना प्रस्तावित था लेकिन राज्यपाल कोश्यारी ने इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया. अब तक यह सार्वजनिक नहीं हो पाया है कि आखिर शुक्रवार आधी रात के बाद फडणवीस ने सरकार बनाने का दावा कैसे ठोका.
साथ ही यह भी सार्वजनिक नहीं किया गया है कि फडणवीस ने 144 विधायकों के समर्थन का दावा कैसे किया. याचिका में तीनों दलों ने दावा किया कि अजित पवार को छोड़ उनके सभी विधायक उनके साथ हैं. शनिवार सुबह 5.47 बजे अधिसूचना जारी कर राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन को खत्म किया गया और इसके करीब ढाई घंटे बाद राजभवन में फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई. यह समझ से परे है कि आखिर आनन-फानन ने यह सब क्यों किया गया.
याचिका में कहा गया है कि इस पूरे मामले में राज्यपाल ने पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की है. यह दर्शाता है कि वह केंद्र में काबिज सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं. राज्यपाल ने अपने संवैधानिक पद का दुरुपयोग किया है. याचिका में गृह मंत्रालय, महाराष्ट्र सरकार, फडणवीस और अजित पवार को प्रतिवादी बनाया गया है.