रांची: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के घोषणा पत्र को मुंगेरी लाल के हसीन सपने बताया है. उन्होंने कहा कि साथ मिल कर चुनाव लड़ रहे महागठबंधन के दलों में घोषणा पत्र जारी करने में भी समझौता नहीं हो पाया है, तो आगे इनकी क्या हालत होगी खुद समझा जा सकता है.
साझा घोषणा पत्र क्यों नहीं
गिलुआ ने कहा कि महागठबंधन में कांग्रेस, जेएमएम और राजद है. तीनों दलों ने मिल कर साझा घोषणा पत्र क्यों जारी नहीं किया. क्या झामुमो ने अपने घोषणा पत्र कांग्रेस और राजद से एप्रुव करा लिया है. सभी दल अलग-अलग राग अलाप रहे हैं. इससे से पता चलता है कि इन दलों के बीच कितना समन्वय है.
फ्लॉप आइडिया की नकल
झामुमो ने कांग्रेस के 72 हजार रुपये वाला फ्लॉप आइडिया की नकल की है. सभी को मालूम है कि लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के 72 हजार रुपये की घोषणा का हश्र लोगों ने क्या किया है.
क्या लालू उरांव को मिलेगा इंसाफ
हेमंत सोरेन ने सीएनटी-एसपीटी को कड़ाई से लागू करने की घोषणा की है. इस घोषणा से लालू उरांव जी जैसे कई परिवारों में खुशी की लहर है. क्या हेमंत सोरेन सीएनटी-एसपीटी की आड़ में लालू उरांव समेत गरीब आदिवासियों की हड़पी जमीन वापस करेंगे. आदिवासियों की जमीन की सोरेन परिवार से जमीन की रक्षा कैसे होगी, इस बारे में घोषणा पत्र में कुछ नहीं कहा गया है.
किसान अब नहीं बन रहा है कर्जदार
किसानों को भाजपा सरकार इतनी आर्थिक मदद कर रही है कि उसे अब कर्ज लेना ही नहीं पड़ रहा है. फिर हेमंत सोरेन किस कर्ज माफी की बात कर रही है.
लाखों करोड़ का भार
झामुमो को यकीन हो गया है कि वह सत्ता में नहीं आ रही है, इसलिए घोषणा पत्र में अनाप-शनाप घोषणाएं की गयी हैं. घोषणा पत्र में कहा गया है कि 12 वीं पास युवाओं को चार लाख रुपये तक का क्रेडिट कार्ड दिया जायेगा. केवल इसी घोषणा पर सालाना 16 हजार करोड़ रुपये होंगे. इसी प्रकार गरीब परिवार को सालाना 72 हजार रुपये देने पर 41 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च आयेगा. यह राज्य के कुल बजट की आधी राशि है. इस प्रकार सभी योजनाओं का खर्च जोड़ लिया जाये तो यह डेढ़-दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो जायेगा. हेमंत जी बतायेंगे कि ये पैसे आयेंगे कहां से.
होर्डिंग और घोषणा पत्र में अंतर
झामुमो ने अपने होर्डिंग में कहा है कि पारा शिक्षकों को स्थायी किया जायेगा, वहीं घोषणा पत्र में कहा गया है कि पारा शिक्षकों को वेतनमान देने पर विचार किया जायेगा. सच क्या है झामुमो इस पर रोशनी डाले. साथ ही घोषणा पत्र में कई ऐसे बे-सिर पैर की बातें कहीं गयी है जिस पर कुछ भी टिप्पणी करना उचित नहीं है. ऐसे भी लोग जानते हैं कि झामुमो जो कहती है, वह करती नहीं है. ऐसे ही 2013 में सरकार बनाने के पहले तीन माह में स्थानीय नीति बनाने की घोषणा कि थी लेकिन पूरे कार्यकाल में स्थानीय नीति नहीं बना पायी.