रांची: भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने झामुमो के निश्चय पत्र को अनिश्चितता से भरा हुआ बताया है. उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने ‘अनिश्चय पत्र’ में 2 वर्षों में 5 लाख युवाओं को रोजगार देने की बात कही है.
प्रतुल ने कहा कि पहले हेमंत सोरेन को जनता को यह भी बताना चाहिए कि जिस समय वह 14 महीने से सरकार में थे तो क्या उन्होंने 14 लोगों को भी नौकरी दी, जो अब इस तरीके के झूठे वादे कर रहे हैं.
प्रतुल ने कहा कि झामुमो की 14 महीने की सरकार में स्थानीय नीति की फाइल 14 कदम भी नहीं बढ़ी थी.
प्रतुल ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा अपने ‘अनिश्चय पत्र’ में 25 करोड़ तक के टेंडर को स्थानीय लोगों को देने की बात कर रही है. उन्हें पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि जब झारखंड के बालू घाट के मालिकाना हक ग्राम सभाओं के पास थे तो उन्होंने आखिर इसे छीन कर उस समय मुंबई के थैली शाह को क्यों दे दिया था. इनकी कथनी और करनी में फर्क साफ दिखता है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा एक तरफ 5 लाख लोगों को रोजगार देने की बात करती है और दूसरी तरफ बेरोजगारी भत्ता देने की बात करती है. यह दोनों विरोधाभासी बातें हैं और इनकी चतुराई पकड़ी जाती है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने ‘अनिश्चय पत्र’ में किसानों के लिए ऋण माफी का वादा किया है. उन्हें यह समझना चाहिए कि भारतीय जनता पार्टी किसानों को ₹11000 से लेकर ₹31000 तक की राशि खेती करने के लिए उपलब्ध करा रही है.
भाजपा नहीं चाहती कि किसान ऋण के जाल में फंसे. यह भाजपा और झामुमो के नजरिए के बीच का मूल अंतर है.
प्रतुल ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने ‘अनिश्चय पत्र’ में शहीदों के परिजनों को नौकरियां देने की बात कही है. राज्य सरकार तो पहले से ऐसा करती ही आ रही है. बल्कि राज्य सरकार ने तो इस राज्य के बड़े शहीदों की गांव को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित किया है. महिलाओं के लिए जो अधिकार की बात आज झामुमो अपने ‘अनिश्चय पत्र’ में कर रही हैं, यह सब भारतीय जनता पार्टी पहले ही अमल कर चुकी है. कभी हेमंत सोरेन पारा टीचर और आंगनबाड़ी सेविकाओं एवम सहायिका को नियमित करने की बात करते थे. अब उनका ‘अनिश्चय पत्र’ सिर्फ इन्हें वेतनमान देने की बात कर रहा है.