खास बातें:-
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ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.1 प्रतिशत, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 10.5 प्रतिशत
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पुरुषों की बेरोजगारी दर 8.2 प्रतिशत है, जबकि महिलाओं की 5.2 प्रतिशत
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झारखंड आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 सदन में पेश
रांचीः विधानसभा में आज वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए राज्य का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया. वित्तमंत्री रामेश्वर उरांव द्वारा सदन में पेश आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार पिछले चार वर्षों में अर्थव्यवस्था की औसत वार्षिक वृद्धि दर 5.7 फीसदी रही. जबकि वित्तीय वर्ष 2019-20 में औसत वार्षिक वृद्धि दर के 7.2 फीसदी रहने का अनुमान है.
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, जुलाई 2019 में ऑक्सफोर्ड प्रोवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनेसिटिव और यूनाईटेड नेशनल डेवलपमेंट प्रोग्राम, यूएनडीपी द्वारा प्रकाशित वैश्विक बहुआयामी गरीबी इंडेक्श्स 2019 के अनुसार झारखंड के लगभग 45.6 प्रतिशत (1.62करोड़) लोग वर्ष 2015-16 में गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे है. वहीं राज्य में बेरोजगारी दर 7.7 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत है.
ग्रामीण क्षेत्रों में 7.1 फीसदी है बेरोजगारी-
राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.1 प्रतिशत है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 10.5 प्रतिशत है. राज्य में पुरुषों की बेरोजगारी दर 8.2 प्रतिशत है, जबकि महिलाओं की 5.2 प्रतिशत है. राज्य के अंतर्गत रोजगार से जुउ़े लोगों में 61.3 प्रतिशत स्वरोजगार, 23.6 प्रतिशत श्रमिक और मात्र 15.1 प्रतिशत लोग ही नियमित वेतन व पारिश्रमिक पर काम करते है.
वहीं राज्य में लगभग 46.75 प्रतिशत श्रमिक कृषि, वानिकी एवं मत्स्य पालन क्षेत्र, 18.54 प्रतिशत विनिर्माण, 8.7 प्रतिशत उत्पादन तथा 7.9 प्रतिशत व्यापार एवं मरम्मत क्षेत्र से जुड़े है.
व्यावसायिक वितरण में लिंग आधारित अंतर-
व्यावसायिक वितरण में लिंग आधारित अंतर है. पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाएं कृषि, वानिकी एवं मत्स्य पालन प्रक्षेत्र में कार्यरत है. इस प्रक्षेत्र में काम करने वालों में 43 प्रतिशत पुरुष, जबकि 63 प्रतिशत महिलाएं है.
वहीं दूसरी तरफ व्यापार एवं मरम्मत के क्षेत्र में कार्यरत लोगों में 9 प्रतिशत और मात्र 2 प्रतिशत महिलाएं है. यह सबसे तेजी से विकसित होने वाले क्षेत्रों में से एक है.
वर्तमान वित्तीय वर्ष में जीएसडीपी 3,43,126 करोड़ रुपये रहने का अनुमान-
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, स्थित मूल्य 2011-12 के अनुसार राज्य का सकल घरेलू उत्पाद, जीएसडीपी वर्ष 2014-15 में 1,86,534 करोड़ रुपये था, जिसका वर्तमान वित्तीय वर्ष 2019-20 में 2,49,554 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.
वर्तमान मूल्य पर राज्य का घरेलू उत्पाद जीएसडीपी वर्ष 2014-15 में 2,18,525 करोड़ रुपये था, जिसके वर्तमान वित्तीय वर्ष में 3,43,126 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.
प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि का अनुमान-
वर्ष 2019-20 में प्रति व्यक्ति आय वर्तमान मूल्य पर 83592 रुपये तथा स्थिर मूल्य पर 60339 रुपये रहने का अनुमान है. जबकि वर्ष 2014-15 में स्थित मूल्य पर झारखंड की प्रति व्यक्ति आय 47781 रुपये थी. दो वर्षों के बाद वर्ष 2016-17 में इसमें 45 रुपये की वृद्धि हुई. इसके बाद के कुछ वर्षां में कुछ सुधार हुआ और वर्ष 2014-15 से 2018-19 के बीच इसमें चार प्रतिशत की औसत दर से वृद्धि हुई. वर्त्तमान वर्ष में इसमें 5.6 प्रतिशत के वृद्धि का अनुमान है.
सेवा क्षेत्र में सर्वाधिक वृद्धि का अनुमान-
वर्ष 2019-20 में सेवा क्षेत्र में सर्वाधिक वृद्धि का अनुमान है. विगत वर्ष की तुलना में इसमें 8.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इस अवधि में सेवा क्षेत्र के अंतर्गत व्यापार एवं मरम्मत, होटल व रेस्टुरेंट, परिवहन, विशेषकर हवाई यात्रा, रीयल स्टेट और संचार व्यवस्था में प्रभावशाली वृद्धि सामने आयी है.
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2014-15 से 2018-19 के बीच स्थिर मूल्य पर भारत का सकल घरेलू उत्पाद 7.5 प्रतिशत के यौगिक वार्षिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ा , इस अवधि में जीएसडीपी स्थित मूल्य पर मात्रा 5.7 प्रतिशत के यौगिक वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा है, जो राष्ट्रीय औसत से 1.8 प्रतिशत कम है.
देश के 28 राज्यों में झारखंड का स्थान 25वां-
झारखंड की प्रति व्यक्ति आय देश में सबसे प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों में से एक है. वर्ष 2015-16 में देश के 28 राज्यों में से इसका स्थान 26वां था. वर्ष 2015-16 में केवल बिहार और उत्तर प्रदेश का प्रति व्यक्ति आय ही झारखंड से कम थी.
अभी भी देश के 28 राज्यों में झारखंड का स्थान 25वां है. वर्ष 2016-17 के पश्चात बिहार और उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मणिपुर ऐसा राज्य है, जिसकी प्रति व्यक्ति आय झारखंड से कम है. राज्य की अर्थव्यवस्था की वृद्धि में तृतीयक क्षेत्र का योगदान सर्वाधित रहा है.
वर्ष 2019-20 में राज्य की अर्थव्यवस्था के वृद्धि में इसका योगदान 65 प्रतिशत का रहा, जबकि प्राथमिक एवं द्वितीय क्षेत्रों का योगदान लगभग 15 से 20 प्रतिशत का रहा है.