हजारीबाग 30 जून: स्थानीय स्वर्ण जयंती पार्क में हुल विद्रोह के क्रांतिकारी शहीद सिद्धू- कानू को पुष्प अर्पण एवं हूल दिवस और उसके प्रासंगिकता पर चर्चा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ऑल इंडिया डीएसओ जिला अध्यक्ष जीवन यादव ने की। मौके पर उपस्थित राज्य उपाध्यक्ष आशीष कुमार एवं जिला सचिव शेखर उपाध्याय ने संयुक्त रूप से सिद्धू कानू के मूर्ति पर माल्यार्पण की।साथ ही आशीष कुमार ने बताया कि आज से 164 वर्ष पहले जब पूरे भारत में ब्रिटिश हुकूमत का राज था।
लोग कहते थे कि अंग्रेजी शासन का सूरज कभी अस्त नहीं होता है, वैसे परिस्थिति में चंद लोगों ने अंग्रेजी राज सत्ता से संघर्ष किया, सिद्धू -कानू, चांद ,भैरव,फूलो ,जानो जैसे झारखंड के क्रांतिकारी शहीदों ने जमींनदारी ,अतिरिक्त लगान, जबरन वसूली ,अत्याचार के ख़िलाफ़ ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष किया। जिला उपाध्यक्ष मोहम्मद फजल ने बताया कि झारखंड के संथाल परगना में मशहूर संथाल विद्रोह जिसे हुल विद्रोह के नाम से भी जानते हैं, 1855 से 1856 तक 1 वर्ष तक सिद्धू कानू के नेतृत्व में अपने जल जंगल जमीन को बचाने के लिए 20,000 से अधिक आदिवासी शहीद हो गए थे ,सिद्धू कानू ने अपनी जमीन जंगल को बचाने के लिए अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ आवाज उठाया था ।लेकिन आज फिर हमें हुल करने की जरुरत है,
आज हमारे देश में भी गरीबों ,मज़दूरो ,किसानों ,नौजवानो को अपने हक़ को बचाने और अपने अधिकारों को पाने के लिए सत्ता से संघर्ष करना पड़ रहा है ।
मोहम्मद शाकिब खान ने कहा की झारखण्ड में आज झारखण्ड के नायको को ही भुलाया जा रहा है,उनके विरासत को सत्ता धारी दल के द्वारा मिटाने का प्रयास किया जा रहा है।
साथी राजेश कुमार ने कहा कि सोवियत संघ के नायक ने हुल विद्रोह को भारत की पहली जनक्रांति का नाम दिया था ,आज उसे दोहराने की जरुरत है एक ओर २०० से अधिक बच्चे सही स्वास्थ्य सुविधा न होने से मर गए ,बेरोजगार युवक नौकरी न मिलने की हताशा में आत्महत्या कर रहे है गरीब अपनी ज़मीं बचाने के लिए लड़ रहा है,छात्र पढ़ाई करने लिए लड़ रहा है,छात्राये महिलाये सुरक्षित नहीं है ,वैसे में सही चरित्रवान जिंदगी जीने के लिए आज हुल को फिर से दोहराना होगा ,
आज के कार्यक्रम में जिला अध्यक्ष जीवन यादव,उपाध्यक्ष फजल खान,बरकत कुमार,बिट्टू कुमार,राजेश कुमार,जिला सचिव शेखर उपाध्याय तथा अन्य साथी उपस्थित थे