रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में रांची लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले पांच विधानसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे. वर्तमान में चार सीटों पर भाजापा का कब्जा है. एक सीट झामुमो के खाते में है. चार में से तीन पर भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक पर भरोसा जताया है. एक का टिकट काट दिया है.
पांचवें सीट से उम्मीदवार नहीं उतारा है. वहां परोक्ष रूप से आजसू पार्टी के सुप्रीमो पर भरोसा जताया है. इस चुनाव में भाजपा का भरोसा कायम रहेगा या मतदाता फेरबदल करेंगे, इसका पता 23 दिसंबर को परिणाम आने के बाद ही चल पाएगा.
राम राज की वापसी की उम्मीद
खिजरी विधानसभा सीट पर भाजपा को राम राज की वापसी की उम्मीद है. यहां से भाजपा ने वर्तमान विधायक रामकुमार पाहन को टिकट दिया है. कांग्रेस से जिला परिषद सदस्य राजेश कच्छप पर दांव लगाया है.
झाविमो के अंतु तिर्की मैदान में हैं. आजसू पार्टी ने रामधन बेदिया को मैदान में उतारा है. यह सीट अब तक कांग्रेस और भाजपा की पारंपरिक सीट के रूप में जानी जाती रही है. इस बार चुनाव में यहां 14 प्रत्याशी मैदान में हैं.
हालांकि सीधी टक्कर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही दिख रही है. खिजरी विधानसभा से कांग्रेस के छह तो भाजपा से चार विधायक रहे. 1995 और 2000 में भाजपा के दुति पाहन यहां से लगातार दो बार विधायक रहे.
2005 में भाजपा के कडि़या मुंडा यहां से जीते थे. 2009 में कांग्रेस के सावना लकड़ा यहां से जीते. 2014 में भाजपा राम कुमार पाहन ने बाजी मारी.
भाजपा के किले को भेदने की मशक्कत
रांची विधानसभा क्षेत्र बीते तीन दशकों से भी अधिक समय से यही भाजपा का अभेद किला रहा है. इसे भेदने की हर दल की कोशिश अब तक नाकाम रही है. इस चुनाव में एक बार फिर तमाम दलों की ओर से कोशिश की रही है.
इस बार गठबंधन के तहत सिर्फ झामुमो प्रत्याशी मैदान में है. सरकार में सहयोगी रही आजसू पार्टी ने भी उम्मीदवार उतारा हैं. सबसे अधिक परेशानी भाजपा को एक व्यापारी के निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े हो जाने से है. इससे भाजपा के परंपरागत वोट के बिखर जाने की आशंका जताई जा रही है.
हालांकि झामुमो की नेत्री के आजसू के टिकट पर खड़े हो जाने से उसे भी भीतरघात हो सकता है. भाजपा से सीपी सिंह, झामुमो से डॉ महुआ माजी, आजसू से वर्षा गाड़ी, झाविमो से से सुनील कुमार गुप्ता मैदान में हैं.
दो महाबलियों के बीच है मुकाबला
सिल्ली विधानसभा में दो महाबलियों के बीच इस बार भी मुकाबला है. ये दोनों करोड़पति हैं. एक की झारखंड गठन के बाद से ही सरकार की कुंजी हाथ में लिये रहे. दूसरे ने उसे ही पटखनी देकर झारखंड की राजनीति में सनसनी मचा दी थी.
झामुमो ने गठबंधन के तौर पर यहां उम्मीदवार उतारा है. गठबंधन नहीं होने के बाद भी भाजपा ने सिल्ली से कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है. आजसू के कद्दावार सुदेश लगातार दो बार हार चुके हैं. झामुमो से सीमा देवी और आजसू से सुदेश कुमार महतो चुनाव लड़ रहे हैं.
मतदाताओं के नहीं बदलने पर बनेगी बात
हटिया सीट से इस बार लगातार पार्टी बदलते रहने वाले उम्मीदवार ने दल नहीं बदला है. ऐसे में उनके प्रति मतदाताओं का मन नहीं बदलने पर ही उनके सिर पर जीत का सेहरा बंध पाएगा. इस सीट पर निर्दलीय सहित 15 उम्मीदवार मैदान में हैं.
यूपीए में हुए समझौता के तहत कांग्रेस ने यहां से प्रत्याशी उतारा है. झाविमो, कांग्रेस और आजसू वापसी कर पुराने दिन लौटना चाहती है. झामुमो खाता खोलना के प्रयास में है. सरकार में साथ रहे आजसू ने भी उम्मीदवार उतारा है. भाजपा से नवीन जायसवाल, कांग्रेस से अजयनाथ शाहदेव, झाविमो से शोभा यादव मैदान में हैं.
मतदाताओं की सोच बदलने की कवायद
कांके विधानसभा इस सीट पर पिछले तीन दशकों से भाजपा का कब्जा रहा है. लगातार प्रत्याशी बदलने के बाद भी मतदाताओं के मन से भाजपा को मोह को निकाल पाने में अन्य दल कामयाब नहीं हो पाए हैं.
इस चुनाव में भी भाजपा ने वर्तमान विधायक का टिकट काटकर अन्य को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने पहले प्रत्याशी बदला था. हो-हंगामा होने के बाद पूर्व प्रत्याशी को ही टिकट दिया.
गठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस के खाते में गया है. भाजपा के प्रत्याशी बदलने के बाद अन्य दलों को मतदाताओं का मन बदलने का इंतजार है.
कांग्रेस से सुरेश बैठा, भाजपा के समरी लाल, बहुजन समाज पार्टी से अवधेश बैठा, जेवीएम से कमलेश राम, आजसू पार्टी से रामजीत गंझू, जनता दल यूनाइटेड से अशोक कुमार नाग मैदान में हैं.