मध्य प्रदेश: चलती ट्रेनों में आये दिन यात्रियों के बिगड़ते स्वास्थ्य, समय पर प्राथमिक उपचार उपलब्ध नहीं होने के कारण कई मामलों में यात्रियों की मौत को रेल प्रशासन ने गंभीरता से लेते हुए निर्णय लिया है कि अब यात्रा के दौरान यदि डॉक्टर ने बताया कि वह डॉक्टर है तो उसे दो बर्थ का कोटा व 10 फीसदी किराये में छूट भी दी जायेगी.
उल्लेखनीय है कि रेलवे द्वारा वर्ष 2002 में यात्रियों को ट्रेन में सफर के दौरान स्वास्थ्य खराब होने पर ट्रेन में ही यात्रा कर रहे किसी डॉक्टर की मदद दिलाने के लिए यात्रा कर रहे डॉक्टर्स को किराए में 10 फीसदी छूट देने का प्रावधान किया.
रेलवे ने दिसंबर 2002 में घोषणा की थी कि ट्रेनों में यात्रा करने वाले डॉक्टर्स टिकट बुक करवाते समय रिजर्वेशन फॉर्म में स्वयं के डॉक्टर होने की घोषणा करेंगे, तो उन्हें किराए में दस फीसदी की छूट दी जाएगी. इसके लिए उन्हें अपने एमबीबीएस होने और इंडियन मेडिकल काउंसिल के प्रमाण पत्र की प्रतिलिपि भी देनी होगी. साथ ही यह भी स्वीकार करना होगा कि वे ट्रेन में किसी यात्री को जरूरत पडऩे पर अपनी चिकित्सा सेवा देंगे. इसके बाद वर्ष 2003 में रेलवे ने इस नियम को लागू कर दिया.
रेलवे की रिजर्वेशन स्लिप में इसके लिए एक कॉलम भी बनाया गया है. पश्चिम-मध्य रेलवे सहित देश भर में इस सुविधा का लाभ बहुत कम डॉक्टर्स ने ही लिया है. ऐसा इसलिए क्योंकि रेलवे के नियम एवं शर्तों के अनुसार डॉक्टर को किराए की छूट लेने के बाद अपने साथ एक मेडिकल किट अनिवार्य रूप से रखना होगा. रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इसे मंजूरी के लिए रेल मंत्रालय भेज दिया है. मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा.
रेल नियमों व शर्तों और जिम्मेदारी में उलझने से बचने के लिए डॉक्टर्स ने इस ऑफर को अपनाया ही नहीं. ऐसे में अब रेलवे प्रमुख ट्रेनों में डॉक्टर्स के लिए दो लोअर बर्थ का कोटा तय करने की योजना बना रहा है. हालांकि इस स्थिति में भी डॉक्टर्स द्वारा शर्त को मानने की संभावना बहुत कम है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसका उपयोग करने पर उन्हें अपने साथ कई तरह के उपकरण व दवा इत्यादि लेकर चलना पड़ेगा.