हिमाचल: उपायुक्तों, तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों की लापरवाही से हिमाचल सरकार को 15 करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लग गया. संपत्ति का बाजार मूल्य गलत निर्धारित करने से सात करोड़ जबकि स्टांप शुल्क और पंजीकरण फीस से 3.94 करोड़ का नुकसान हुआ है. पट्टा राशि की कम वसूली से 2.61 करोड़ और अन्य वित्तीय अनियमितताओं से भी सरकार को 2.01 करोड़ की चपत लग गई. कैग रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.
वर्ष 2017-18 के दौरान राजस्व विभाग की 155 इकाइयों में 101.40 करोड़ की प्राप्तियां हैं. इनमें से 73 इकाइयों के अभिलेखों की नमूना जांच से 218 मामलों में 15.59 करोड़ की राशि की संपत्ति के बाजारी मूल्य गलत निर्धारित किए. आवास ऋण पर अनियमित छूट, स्टांप शुल्क और पंजीकरण फीस न लेने या कम लेने, पट्टा विलेखों की गैर वसूली या कम वसूली और अन्य अनियमितताएं सामने आई हैं.
इसी तरह निर्मित ढांचे पर स्टांप शुल्क और पंजीकरण फीस की कम वसूली की गई है. उल्लेखनीय है कि राज्य के 12 उपायुक्त और 117 तहसीलदार, नायब तहसीलदार पंजीयकों एवं उप पंजीयकों के रूप में कार्य करते हैं. सरकार ने छह फीसदी स्टांप शुल्क तय किया है. महिलाओं से स्टांप शुल्क चार फीसदी की दर से लिया जाता है. पंजीकरण फीस संपत्ति के प्रतिफल या बाजारी मूल्य जो भी अधिक हो, उस पर दो फीसदी की दर से लिया जाता है.