रांची: झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि शिक्षा किसी भी राष्ट्र अथवा समाज की प्रगति का मापदंड है. जो राष्ट्र शिक्षा को जितना अधिक प्रोत्साहन देता है, वह उतना ही अधिक विकास की ओर अग्रसर होता है. किसी भी राष्ट्र की शिक्षा नीति इस पर निर्भर करती है कि वह राष्ट्र अपने नागरिकों में किस प्रकार के मानसिक अथवा बौद्धिक जागृति लाना चाहता है. इस क्रम में सदैव से ही विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका थी, है और रहेगी. राज्यपाल आज रांची स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड में पूर्व क्षेत्र के कुलपतियों के सम्मेलन को संबोधित कर रही थी.
उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से ही हमारे देश में शिक्षा का बहुत महत्व रहा है. प्राचीन भारत के नालंदा और तक्षशिला आदि विश्वविद्यालयों संपूर्ण संसार में सुविख्यात थे. इन विश्वविद्यालयों में देश ही नहीं, विदेश के विद्यार्थी भी अध्ययन के लिए आते थे. इन शिक्षा केन्द्रों की अपनी विशेषताएं थीं.अर्थात दूसरे शब्दों में, जब से मानव सभ्यता का सूर्य उदित हुआ है, तभी से भारत अपनी शिक्षा तथा दर्शन के लिए प्रसिद्ध रहा है. यह सब भारतीय शिक्षा के उद्देश्यों का ही चमत्कार है कि भारतीय संस्कृति ने विश्र्व का सदैव पथ प्रदर्शन किया और आज भी कर रहा है. भारत विश्र्वगुरू रहा है और फिर से इस दिशा में अग्रसर है.
राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में हमारे देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थान विविध उद्देश्यों को लेकर संचालित हो रहे हैं, परंतु उनके मूल में देश का बेहतर नागरिक बनने, नैतिकवान एवं चरित्रवान बनने की शिक्षा देना है. उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों को अपने विद्यार्थियों में स्वतंत्र तथा स्पष्ट रूप से चिन्तन करने एवं निर्णय लेने की योग्यता को विकसित करने पर जोर देना आवश्यक है, जिससे वे देष के उत्तरदायी नागरिक के रूप में देश की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक सभी प्रकार की समस्याओं पर सकारात्मक चिन्तन और मनन करते हुए राष्ट्र को प्रगति के पथ पर आगे ले जा सकें.
इन सभी का विकास बौद्धिक विकास के द्वारा किया जा सकता है. बौद्धिक विकास होने से व्यक्ति इस योग्य बन जाता है कि वह सत्य और असत्य की वास्तविकता समझते हुए अंधविश्वास तथा निरर्थक परम्पराओं का उचित विश्लेषण करके अपने जीवन में आने वाली विभिन्न समस्याओं के विषय में वैज्ञानिक दृष्टिकोण द्वारा अपना निजी निर्णय ले सके. वे अपने हित के साथ परिवार एवं समाजहित को भी समझ कर कोई कार्य कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि महिला शिक्षा की दिशा में बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है. कदापि किसी के मन में ये बात नहीं होनी चाहिये कि लड़कियां पढ़कर क्या करेगी? महिला शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालयों को विषेश रूप से प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है. देश की बेटियां अब समुद्र से आसमान तक अपनी प्रतिभा से कामयाबी हासिल कर अपने समाज एवं राष्ट्र का सम्मान बढ़ा रही है. द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि महिलाओं ने अपनी प्रतिभा से अवसर प्राप्त होने पर हर पद को सुषोभित किया है. महिला शिक्षित होंगी तो समाज शिक्षित होगा. कोई महिला शिक्षित रहती है, तो वे अपने पूरे परिवार को शिक्षित बनाने की दिशा में बल देती है. इसलिए बालिका शिक्षा को दरकिनार नहीं करना है. उन्होंने कहा कि राष्ट्र के पुननिर्माण के लिए राष्ट्रीय एकता का होना परम आवश्यक है. उन्होंने कहा कि जनतंत्र को सफल बनाने के लिए शिक्षा परम आवश्यक है इसलिए जनतंत्र को सुदृढ़ बनाना शिक्षा का अहम उद्देश्य है.