रांची: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिवमंडल सदस्य संजय पासवान ने सीएए और एनआरसी पर बयान जारी कर इसके औचित्य पर सवाल उठाया और इसे दुनिया की सबसे बड़ा मानव त्रासदी साबित होने वाला बताया. उन्होंने विस्तार से कहा कि नागरिकता संशोधन कानून 2019 नागरिकता देने के लिए है न कि किसी की नागरिकता छिनने के लिए. बड़ी चालाकी से वे आधा सच आधा झूठ का प्रचार कर रहे हैं. इस कानून के तहत नागरिकता देने का आधार धर्म है और भारत का संविधान धर्म आधारित नागरिकता को स्पष्ट शब्दों में खारिज करता है. संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकार स्वतंत्रता एवं समानता का विरोधी है. संविधान की धारा 14,15,19,21का विरोधी है.
नागरिकता संशोधन कानून’2019 और इसका व्यापक विरोध देश की जनता के सामने हैं. उत्तर, दक्षिण, पूरब, पक्षिम सभी तरफ़ विरोध के स्वर काफी तेज और मुखर हैं और इस महाविरोध का सबसे बड़ा हिस्सा विद्यार्थी और नौजवान हैं. लड़कियों, महिलाओं की बहुत बड़ी तादाद इस आंदोलन में शामिल है. इतने सारे लोगों का सड़कों पर शांतिपूर्ण विरोध के लिए उतरना एक विशेष सामाजिक-राजनीतिक परिस्थिति को दर्शाता है.
वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक देश में 49 करोड़ 49 लाख लोग भूमिहीन हैं. सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में 56.41 प्रतिशत परिवार भूमिहीन थे यानी लगभग 10 करोड़ 10 लाख परिवार. इनमें से अधिकांश दलित, आदिवासी व ओबीसी हैं. ये वो लोग हैं जो शायद ही खुद को देश का नागरिक साबित कर पाएं. प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में आ जाने से न जाने कितनों के दस्तावेज नष्ट हो जाते हैं. आशंका है कि इनमें से अधिकांश सीएए के बाद लागू होने वाले एनआरसी में अगर नागरिकता साबित नहीं कर पाएंगे. तो क्या इतनी बड़ी आबादी को देश में बनने वाले यातना गृहों में रखा जाएगा. या उन्हें हिटलर के गैस चैंबरों की तरह मार डाला जाएगा.
असम के अनुभवों को देखें तो वहां करीब सवा तीन करोड़ लोगों ने आवेदन कया था, जिसमें पहले 40 लाख लेकिन बाद में एनआरसी की आखिरी सूची में 19,06,657 लोग बाहर हो गए. इनमें से 12 से 14 लाख हिंदू थे. खुद को देश का नागरिक साबित करने के लिए आम लोगों को काम-धाम छोड़कर अपने गांव घर आना पड़ा. न जाने कितने दिनों तक मीलों लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ा. बहुत से लोग तो दस्तावेजों में केवल स्पेलिंग न मिलने से एनआरसी से बाहर हो गए. मोदी सरकार की विभाजनकारी नीतियों के कारण यह दुनिया की सबसे बड़ी मानव त्रासदी साबित होगा.
इसलिए नागरिकता संशोधन कानून 2019 हमारी एकता, बाहुलता, वैविधता और धर्मनिरपेक्षता का विरोधी है. इस तरह अपने पूरे अर्थों में देश विरोधी एवं जन विरोधी है. अब यह सवाल देश की हिफाजत का है, भारतीयता की रक्षा का है, गणतंत्र को बचाने का है. गांधी, नेहरु, सरदार पटेल, अम्बेडकर, मौलाना आजाद एवं भगत सिंह जैसे देशभक्तों की परंपरा और साझी शहादत, साझी संस्कृति, साझा संघर्ष और साझी विरासत को बचाने का है अर्थात भारत को बचाने का है.