नई दिल्लीः सहयोगी दलों खासकर जनता दल-यूनाइटेड (जद-यू) और अन्ना द्रमुक (एआईएमडीके) को मोदी कैबिनेट में शामिल करने के लिये इन दोनों दलों से बातचीत भी शुरू हो गई है.
केंद्र सरकार से जुड़े एक सूत्र ने यह जानकारी दी. अभी मोदी मंत्रिमंडल में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और अकाली दल के प्रतिनिधि ही हैं.
उन्होंने कहा कि पहले ये विस्तार संसद के शीत कालीन सत्र के बाद किया जाना था. लेकिन खरमास की वजह से अब विस्तार जनवरी के तीसरे सप्ताह तक टाल दिया गया है.
संगठन से लेकर केंद्र स्तर पर इसके लिए मन्त्रणा शुरू हो गई है और संघ से भी सुझाव मांगा गया है. जानकारी के मुताबिक इस विस्तार में बेहतर प्रदर्शन नहीं करने वाले कुछ मंत्रियों की छुट्टी भी होगी.
इसका मूल्याकंन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक में किया था. कहा गया है कि जिन मंत्रियों के पास दो से ज्यादा विभाग हैं, उनका भार कम किया जाएग.
ऐसे पांच मंत्री हैं जिनके पास दो या दो से ज्यादा मंत्रालय हैं. सूत्रों ने बताया कि जिन मंत्रियों का प्रदर्शन उम्दा रहा है, उन्हें प्रोन्नत किया जाएगा.
संगठन से भी कुछ लोगों को मत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है. कुछेक मंत्रियों को संगठन में भेजा सकता है.
गौरतलब है कि कुछ बड़े राज्यों में संगठन चुनाव नही होने की वजह से केंद्र में संगठन का चुनाव मकर संक्रांति के बाद तक टाल दिया गया है.
सूत्र के मुताबिक, संसद के बजट सत्र से कम से कम 10 दिन पहले इस काम को अंजाम दिया जाना है, ताकि नये मंत्रियों को बजट सत्र में तैयारी का भरपूर मौका मिले.
मंत्रिमंडल में 10 से 12 नए लोगो को जगह मिलेगी. बताया ये जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार अक्तूबर में ही प्रस्तावित था.
लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव की वजह से इसे टाल दिया गया था. इस बार के विस्तार में जद-यू और दक्षिण के कुछ सहयोगी दलों को मौका मिलेगा.
सूत्रों ने बताया कि जद-यू दो केबिनेट और एक राज्यमंत्री की अपनी पुरानी मांग पर अड़ी है. इस बावत आरंभिक बातचीत की जिम्मेदारी भाजपा महासचिव भूपेंद्र यादव को सौंपी गई है.
प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि टीआरएस और बीजू जनता दल (बीजद) को भी मत्रिमंडल में शामिल होने के लिए मनाया जाए.
शिवसेना के राजग से निकलने के बाद भाजपा आलाकमान अब सहयोगी दलों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देना चाहता है और इन दलों से बात चल रही है.
माना जा रहा है कि मंत्रिपरिषद में कई बड़े विभाग संभाल रहे कुछ मंत्रियों का भार कम किया जा सकता है, वहीं कमजोर प्रदर्शन वाले मंत्रियों को हटाने के साथ विभाग बदले भी जा सकते हैं.
अभी मोदी सरकार में कुल 57 मंत्री हैं. नियम है कि लोकसभा की कुल संख्या का अधिकतम 15 प्रतिशत यानी 81 मंत्री हो सकते हैं. पिछली सरकार में 70 मंत्री थे.
इसका मतलब है कि कम से कम एक दर्जन मंत्रियों की जगह खाली है. ऐसे में 10 से 12 नए मंत्री बनाए जा सकते हैं.