जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए हिंदुस्तान 2026 तक चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन सकता है. ब्रिटेन स्थित सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च (सीईबीआर) के मुताबिक इस साल में फ्रांस व यूके को पीछे छोड़ते हुए हिंदुस्तान संसार की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन चुका है.
इस रिपोर्ट में बोला गया है कि हिंदुस्तान 2034 तक जापान को पीछे छोड़कर संसार की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन सकता है.
‘वर्ल्ड इकोनॉमिक लीग टेबल, 2020’ नाम से जारी इस रिपोर्ट में बोला गया है कि भारत, जर्मनी व जापान अगले 15 वर्षो में तीसरे जगह के लिए प्रतिस्पर्धा करते दिखेंगे.
हिंदुस्तान सरकार द्वारा साल 2024 तक पांच लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी के निर्धारित लक्ष्य की ओर संकेत करते हुए रिपोर्ट में बोला गया है कि इस लक्ष्य को पाने में दो साल का अलावा समय लग सकता है.
हालांकि, रिपोर्ट यह भी कहती है कि इकोनॉमी पर छाए संकट के बादल इसे लक्ष्यों से भटका सकते हैं. इससे पहले आरबीआई (आरबीआइ) के पूर्व गवर्नर सी. रंगराजन ने बोला था कि मौजूदा ग्रोथ रेट के हिसाब से 2024 तक पांच लाख करोड़ डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य को पाना संभव नहीं है.
रिपोर्ट कहती है कि हिंदुस्तान ने इस साल ब्रिटेन व फ्रांस को पीछे छोड़ दिया है, लेकिन धीमी पड़ती जीडीपी ग्रोथ रेट चिंताजनक है. इससे उबरने के लिए बड़े आर्थिक सुधारों की आवश्यकता होगी.
सीईबीआर के सीनियर इकोनॉमिस्ट पाब्लो शाह ने बोला कि हिंदुस्तान व इंडोनेशिया जैसे राष्ट्रों ने तेज विकास किया है. लेकिन यह देखना जरूरी होगा कि ये देश ग्लोबल इकोनॉमी पर अमेरिका व चाइना जैसे राष्ट्रों की धमक को कैसे प्रभावित करते हैं. पिछले कुछ वर्षो के दौरान हिंदुस्तान संसार के तेज विकास करने वाले राष्ट्रों में अव्वल रहा है.
फ्रांस के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री गाइ सोरमन ने बोला कि हिंदुस्तान के पीएम नरेंद्र मोदी ने आर्थिक सुधारों की अगुआई करते हुए कई जरूरी कदम उठाए हैं. लेकिन ध्यान भटक जाने की वजह से आर्थिक सुधारवादी कोशिशें अधूरी हैं.
उन्होंने बोला कि इकोनॉमी पर इसका निगेटिव असर पड़ेगा. सोरमन के मुताबिक उल्टा आर्थिक दशा के चलते घरेलू व विदेशी निवेशक हिंदुस्तान में निवेश करने से बच रहे हैं. उनका बोलना था कि सुधारों की गति सुस्त पड़ने की वजह से इकोनॉमी पर गलत असर पड़ रहा है.