रांचीः हेमंत सरकार को कंट्रोवर्सी पर लगाम लगाना भी चुनौती होगी. रघुवर सरकार के पांच साल के दौरान नेता और मंत्री ही नहीं बल्कि ब्यूरोक्रेसी भी विवादों में रहा.
इस दौरान आईएएस अफसर को क्लीन चीट भी मिली, निलंबन मुक्त भी किया गया. चतरा और खूंटी की तत्कालीन डीसी पूजा सिंघल पर कई आरोप लगे. जिसमें पूर्व के अग्रिम 15.72 करोड़ रुपए के समायोजन के बिना ही विभिन्न तिथियों में 10.5 करोड़ अग्रिम देने का आरोप लगा.
साथ ही निलंबित जेई से काम लेने, मनरेगा का दिशा-निर्देशों का उल्लंघन, पद का दुरुपयोग व फर्जी कार्यों की स्वीकृति देने का भी आरोप लगा. लेकिन 27 फरवरी 2017 को उन्हें क्लीन चिट मिल गई.
इसी तरह प्रशासनिक चूक के कारण सरायकेला-खरसांवा के तत्कालीन डीसी घोलप रमेश गोरख को निलंबित किया गया, फिर उन्हें निलंबन मुक्त किया गया.
आईएएस और मंत्रियों के बीच भी ठनी
पिछले पांच साल के दौरान आईएएस अफसरों और मंत्रियों के बीच भी ठन गई. पूर्व कृषि मंत्री रंधीर सिंह और तत्कालीन कृषि सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी आमने-सामने हो गए.
कृषि की कई योजनाओं को जल्द से जल्द लागू कराने को लेकर दोनों के बीच नहीं बनी. इस कारण डॉ कुलकर्णी को बदलकर ऊर्जा सचिव बनाया गया.
वहीं तत्कालीन पेयजल मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी और पेयजल सचिव एपी सिंह के बीच ठनी रही. ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं को लेकर मंत्री ने कई बार पीत पत्र भी लिखा. इसके बाद एपी सिंह को बदलकर स्कूली शिक्षा विभाग का सचिव बनाया गया.
सरकार गठन से ही शुरू हुआ विवाद
रघुवर सरकार के गठन के समय ही आईएएस अफसरों के साथ विवाद शुरू हो गया था. एटीआई में एक कार्यक्रम के दौरान सीएम और तत्कालीन मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती आमने-सामने हो गये थे.
कार्यक्रम के दौरान सीएम कुछ बोलना चाहते थे, पर सजल चक्रवर्ती का कहना था कि मुझे अपनी बात खत्म करने दीजिये. इस पर सीएम और सीएस के बीच ठन गयी.
कार्यक्रम खत्म होने के एक घंटे बाद ही सजल चक्रवर्ती को पद से हटाने का आदेश जारी कर दिया गया. साथ ही उनसे स्पष्टीकरण भी मांगा गया.
पूर्व खान सचिव एसके सत्पथी भी सीएमओ के खिलाफ अड़े
21 खनिज खदानों के रद्द करने के मामले में तत्कालीन खान सचिव एसके सत्पथी अड़े रहे. सीएमओ ने कई बार खदानों के लीज नवीनीकरण के लिये कमेटी बनायी. सभी ने रद्द करने की अनुशंसा की.
इसके बाद फिर से खान विभाग पर समीक्षा के लिये दबाव बनाया गया. खान सचिव अड़े रहे और 18 खनिज खदानों के लीज रद्द करने की अनुशंसा कर दी. इसके बाद एसके सत्पथी को बदलकर राज्यपाल का प्रधान सचिव बनाया गया.
अडाणी पावर को लेकर भी आईएएस व सीएमओ हो गए आमने-सामने
अडाणी पावर को लेकर तत्कालीन ऊर्जा सचिव एसकेजी रहाटे और सीएमओ भी आमने-सामने हो गए. अडाणी से बिजली लेने के मामले में वेरिएबल कॉस्ट को लेकर लंबी बहस भी हुई. इसके बाद ऊर्जा सचिव एक महीने की छुट्टी पर चले गए.
सरकार ने उन्हें बदल कर श्रम विभाग की जिम्मेवारी सौंप दी. हालांकि बाद में उन्हें गृह विभाग की भी जिम्मेवारी दी गई.
झारखंड से किनारा कर गए नौ अफसर
झारखंड से नौ अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए. इनमें एनएन सिन्हा, राजीव कुमार, अमित खरे, एमएस भाटिया, अलका तिवारी, एसएस मीणा, निधि खरे और एसकेजी रहाटे के नाम शामिल हैं.
वहीं अपर मुख्य सचिव रैंक के अफसर इंदू शेखर चतुर्वेदी को भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में जाने की अनुमति मिल गई है.
इसी तरह डॉ स्मिता चुग को कई बार रिमांइडर भेजा गया, लेकिन उन्होंने झारखंड में योगदान नहीं दिया. वहीं दो अफसर के श्रीनिवासन और चंद्रशेखर राज्य प्रतिनियुक्ति पर हैं.