चंडीगढ़: देश के सबसे बेहतर चिकित्सा संस्थानों में शुमार पीजीआई चंडीगढ़ में एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. पीजीआई में 24 हफ्ते के एक जिंदा नवजात को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. पोस्टमार्टम हाउस के कर्मचारी ने जब नवजात को देखा तो उसकी सांसें चल रही थीं. इसके बाद आनन-फानन में मामले की सूचना गाइनी डिपार्टमेंट को दी गई.
पहले तो डिपार्टमेंट ने जिंदा नवजात को वापस लेने में आनाकानी की लेकिन बाद में नवजात को वापस ले गए. इसके बाद करीब करीब 12 घंटे तक उसकी सांसें चलीं. डॉक्टरों की इस गंभीर चूक से पीजीआई प्रशासन में हड़कंप मच गया है. पीजीआई के कार्यवाहक प्रवक्ता का कहना है कि ऐसा मामला हमारे संज्ञान में आया है, जिसकी जांच शुरू कर दी गई है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि नवजात पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ था.
नयागांव दशमेश नगर निवासी संतोष कुमार ने बताया कि उसकी पांच महीने की गर्भवती पत्नी का इलाज सेक्टर-45 की डिस्पेंसरी में चल रहा था. अल्ट्रासांउड में बच्चे में दिक्कत पाई गई. पीजीआई में जांच कराने पर पता चला कि बच्चे की रीढ़ की हड्डी में गंभीर बीमारी है. जन्म लेने के बाद वह मात्र दो से तीन साल तक ही जिंदा रह सकता है.
ऐसे में डॉक्टरों ने गर्भपात की सलाह दी लेकिन गर्भ 20 हफ्ते से ऊपर का हो गया था. ऐसे में दंपति को हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी. हाईकोर्ट ने पीजीआई को पैनल गठित कर मामले को देखने को कहा. पीजीआई के पैनल ने भी गर्भपात की सलाह दी. पीजीआई की सलाह मानते हुए हाईकोर्ट ने गर्भपात के आदेश जारी कर किए.