मुंबई: मुंबई के सिद्धिविनायक और साईं मंदिर शिर्डी. ये दोनों न सिर्फ महाराष्ट्र के बल्कि देश के सबसे ज्यादा दान पाने वाले, पावरफुल और भक्तों की संख्या वाले मंदिर हैं.
बल्कि दोनों देश-विदेश में, सेलेब्रटी से लेकर राजनेता तक सभी में प्रसिद्ध हैं और इनका नियंत्रण एक पावर का सिंबल माना जाता है. इनका संचालन करनेवाला बोर्ड के प्रमुख की नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार के हाथ में होती है.
महाराष्ट्र में मलाईदार मंत्रालयों को आपस में लंबी खींचतान के बाद कांग्रेस-शिवसेना-एनसीपी ने बांट लिया. अब दो सबसे बड़े मंदिरों पर नियंत्रण को लेकर बंटवारे की लड़ाई चल रही है.
इनके प्रमुख का स्टेटस किसी मंत्री से कम नहीं होता. इसलिए सरकारों में इन दोनों मंदिर पर नियंत्रण की लड़ाई चलती रहती है. चूंकि अब तक महाराष्ट्र में दो पार्टियों की सरकार रही है तो ये विभाग आपस में बांटे जाते थे.
1995 और 2014 की शिवसेना-बीजेपी सरकार में शिर्डी बीजेपी के पास और सिद्धिविनायक शिवसेना के पास था. 1999 , 2004 और 2009 की कांग्रेस-एनसीपी सरकार में शिर्डी कांग्रेस के पास और सिद्धिविनायक एनसीपी के पास था.
जब तक सिर्फ दो पार्टियां थी तब तक तो बंटवारा आसान था, मगर इस बार तीन पार्टियों की सरकार है इसलिए बंटवारा मुश्किल हो रहा है और तीनों पार्टियों में भगवान को बांटने की खींचतान चल रही है. शिवसेना सूत्रों का कहना है कि वह सिद्धिविनायक मंदिर अपने पास रखना चाहती है, जबकि कांग्रेस चाहती है कि उसे शिर्डी मिले.
एनसीपी का कहना है की उसे सिद्धिविनायक या शिर्डी. दोनों में से कोई भी मंदिर का कंट्रोल रहेगा. अब इस समस्या को देखते हुए महाराष्ट्र में पहली बार अलग से एक तीर्थस्थान मंत्रालय बनाने की कवायद चल रही है जिसके तहत शिर्डी, सिद्धिविनायक समेत बाकी महत्त्वपूर्ण मंदिर, उस मंत्रालय के अधीन आ जाएंगे.
इसके मुताबिक, सिद्धिविनायक पर शिवसेना का स्वयात्त कण्ट्रोल, शिर्डी पर कांग्रेस का स्वयात्त कण्ट्रोल और बाकी बचे हुए मंदिरों के नियंत्रण वाला तीर्थस्थान मंत्रालय एनसीपी के खाते में जाएगा. नासिक से 90 किलोमीटर पर साईबाबा का मंदिर.
इसमें 2019 में 287 करोड़ का डोनेशन आया और इसके अलावा 19 किलो सोना और 390 किलो चांदी का दान वो अलग से.
हर साल दो करोड़ से ज्यादा भक्त दर्शन करते हैं.वहीं मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर, इसमें सालाना 400 करोड़ से ज्यादा का डोनेशन आता है.
इसके अलावा सोना – चांदी का दान वो अलग से. हर साल सवा करोड़ से ज्यादा भक्त दर्शन करते हैं.