नई दिल्ली: निर्भया के गुनाहगारों की फांसी टली . दरअसल दोषियों में से एक मुकेश सिंह ने पटियाला हाउस अदालत से जारी डेथ वारंट को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे सुनवाई के बाद अदालत ने खारिज कर दिया है. अब दोषी के वकील सत्र न्यायालय में डेथ वारंट के खिलाफ याचिका डालेंगे. दरअसल सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि आपको डेथ वारंट के खिलाफ या तो सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए था या फिर सत्र न्यायालय.
अदालत की इसी बात पर गौर करते हुए दोषी मुकेश के वकील ने अपनी याचिका वापस ले ली, अब वह सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे. बता दें कि दोषी के वकीलों ने अदालत से कहा था कि राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज कर देने के बाद भी उसे 14 दिन का समय मिलता है. बता दें कि मुकेश ने राष्ट्रपति को दया याचिका भी भेजी थी, जिसे दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल को भेज दिया है. दिल्ली सरकार ने इसे खारिज करने की अपील की है.
जानें आज अदालत में क्या हुआ
- दोषी के वकील की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने मुकेश की याचिका खारिज कर दी और कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की पुनर्विचार याचिका, क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी है और ट्रायल कोर्ट ने आदेश में कुछ भी गलती नहीं है. अगर दोषी चाहे तो वह सत्र न्यायालय में याचिका डाल सकता है.
- दोषी की वकील ने कहा कि वह इस याचिका को वापस ले रही हैं ताकि वह नई याचिका डाल सकें.
- दोषी की वकील जॉन ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने खुद कई बार जेल मैनुअल के नियम तोड़े हैं. उन्होंने ये भी बताया कि वह सेशन्स कोर्ट जाना चाहती हैं लेकिन इस अदालत से अपने मुवक्किल के लिए राहत भी चाहती हैं.
- जस्टिस मनमोहन ने मुकेश को सुप्रीम कोर्ट या सेशन्स कोर्ट जाने को कहा. उन्होंने ये भी कहा कि तुम एक कोर्ट के खिलाफ दूसरे को कोर्ट को नहीं खेल सकते. ऐसा लगता है कि ये तरीका अपनाकर आप फांसी टालना चाहते हैं.
- सरकारी वकील राहुल मेहरा ने कहा कि तिहाड़ प्रशासन को दया याचिका पर फैसला आने का इंतजार करना चाहिए.
- सरकारी वकील मेहरा ने ये भी कहा कि दोषियों द्वारा जो तरीका अपनाया जा रहा है वह न्याय प्रक्रिया को निश्चित ही प्रभावित करने के लिए है.
- सरकार वकील राहुल मेहरान ने कहा कि 22 जनवरी को तो किसी हालात में फांसी नहीं हो सकती. यह तभी हो सकती है जब दया याचिका खारिज हुए 14 दिन हो गए हों. इसलिए मुकेश की यह याचिका प्रीमैच्योर है.
- सरकारी वकील राहुल मेहरा ने जवाब दिया कि पुलिस के हाथ बंधे हुए हैं दोषियों को दया याचिका खारिज होने के बाद 14 दिन का समय मिलना ही चाहिए. मेहरा ने कहा कि जब राष्ट्रपति दया याचिका खारिज कर देंगे तब ही फांसी का रास्ता साफ हो सकेगा.
- जज मनमोहन ने पूछा कि दिल्ली पुलिस ने दोषियों को पहला नोटिस जारी करने में इतना समय क्यों लगाया. आप अपनी प्रणाली ठीक करें.
- सरकारी वकील राहुल मेहरा ने जेल मैनुअल के नियम 840 का हवाला दिया जिसमें सात दिन में दोषी अपनी दया याचिका फाइल करता है.
- दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि जब तक दया याचिका पर फैसला नहीं आ जाता तब तक दोषियों को फांसी नहीं हो सकती.
- असिस्टेंट सॉलिसीटर जनरल ने ये भी कहा कि 2017 के बाद से अब तक का समय दया याचिका दाखिल करने के लिए बहुत था.
- इस पर असिस्टेंट सॉलिसीटर जनरल ने कहा जेल मैनुअल के हिसाब से दया याचिका फाइल करने के लिए सिर्फ 7 दिन का समय दिया जाता है। दोषी अलग-अलग तारीखों पर याचिकाएं डाल रहे हैं जिससे कानून का उद्देश्य असफल हो रहा है.
- मुकेश के वकील जॉन ने कहा कि दया याचिका खारिज होने के बाद भी उसे 14 दिन का समय दीजिए.
- जॉन ने कहा कि दोषी ने दया याचिका डाली है उस पर निर्णय होने दीजिए। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के हिसाब से इसे 14 दिन मिलने चाहिए। सिर्फ यही नहीं दया याचिका खारिज होने के बाद भी उसे अपने कानूनी अधिकार को इस्तेमाल करने के लिए समय मिलना चाहिए।
- एडवोकेट जॉन की दलीलों के बाद जस्टिस मनमोहन ने कहा आपकी आपराधिक याचिका 2017 में खारिज कर दी गई थी। तब आपने क्यों नहीं क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका डाली? आप ढाई साल से क्या कर रहे थे? कानून आपको सिर्फ एक उचित समय दे सकता है याचिकाएं डालने के लिए।
- राष्ट्रपति से दया की याचिका करना आर्टिकल 72 के अनुसार हर मौत की सजा पाए दोषी का संवैधानिक अधिकार है। यह कोई प्रिविलेज की बात नहीं है बल्कि अधिकार का सवाल है।
- जॉन ने ये भी बताया कि क्यों क्यूरेटिव पिटीशन 6 जनवरी को फाइल नहीं हो सकी। उन्होंने बताया कि दो डॉक्यूमेंट जो मांगे गए थे वो उपलब्ध न हो सकने के कारण ऐसा हुआ।
- जॉन ने कहा कि दोषी की आखिरी सांस तक भी उसे अपने कानूनी अधिकार इस्तेमाल करने का हक है.
- जॉन ने अपनी दलील रखते हुए शत्रुघ्न चौहान बनाम यूओआई केस का उदाहरण भी रखा कि मौत की सजा पा चुके दोषी भी आर्टिकल 21 के हिसाब से सुरक्षा पाने के अधिकारी हैं.
- जॉन ने बताया कि दोषी मुकेश और विनय ने अपनी क्यूरेटिव पिटिशन नौ जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में डाली थी.
- वकील जॉन ने कहा कि तिहाड़ प्रशासन ने चारों दोषियों को नोटिस दिया था, जिसमें बताया था कि उनके पास सिर्फ दया याचिका का रास्ता है. उन्हें क्यूरेटिव पिटीशन के बारे में नहीं बताया गया था.
- वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने मुकेश की तरफ से बोलते हुए कहा कि फांसी को फिल्हाल के लिए रोक दिया जाए।
- जस्टिस मनमोहन और जस्टिस ढींगरा की बेंच के सामने शुरू हुई सुनवाई