नई दिल्लीः पाकिस्तान प्रेम एक बार फिर चीन के लिए बेइज्जती की सबब बन गया. पाकिस्तान का समर्थन करते हुए चीन ने कश्मीर मसले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अन्य देशों का समर्थन पाने की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कई सदस्यों ने कहा है कि कश्मीर, भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है. लिहाज़ा, इसे दोनों देशों के बीच बातचीत से ही हल होना चाहिए. और इसी के साथ पाकिस्तान को एक और झटका, कश्मीर पर चीन की तीसरी कोशिश भी नाकाम साबित हुए.
वहीं भारत ने कहा कि हमारे साथ संबंध बेहतर करने के लिए पाकिस्तान के लिए ज़रूरी है कि वो सही मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करे. दरअसल चीन ने बुधवार (15 जनवरी) को न्यूयॉर्क में बंद कमरे में हुई UNSC की बैठक में एक बार फिर कश्मीर का मामला उठाने की कोशिश की.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चीन के इस प्रस्ताव का स्थायी सदस्यों फ्रांस, अमरीका, ब्रिटेन और रूस के साथ 10 सदस्यों ने विरोध किया और कहा कि ये मामला यहाँ उठाने की ज़रूरत नहीं है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैय्यद अकबरुद्दीन ने कहा है, ”हमने एक बार फिर देखा कि पाकिस्तान ने ये मुद्दा उठाने की कोशिश की, जिसे किसी का भी समर्थन नहीं मिला.
हमें ख़ुशी है कि इस मामले में पाकिस्तान के किसी बेबुनियाद आरोप को यूएन ने चर्चा के लायक़ नहीं समझा.” हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की बैठक में पाकिस्तान ने कहा था कि ‘जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 ख़त्म किये जाने के बाद वहाँ के हालात सामान्य नहीं हैं.
स्थानीय नेताओं को उनके घरों में क़ैद किया गया है. इंटरनेट समेत कई सेवाएं अभी भी बंद हैं.’ अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाकर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बाँटे जाने के बाद भी चीन ने इस मुद्दे पर यूएनएससी की बैठक बुलाई थी.
हालांकि तब चीन और पाकिस्तान को इससे कुछ भी हासिल नहीं हुआ क्योंकि सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने इसे भारत का आंतरिक मुद्दा क़रार देते हुए कार्रवाई से इनकार कर दिया था. इसके बाद दिसंबर 2019 में भी चीन को कई सदस्यों के विरोध के बाद कश्मीर के मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बहस कराने का अपना प्रस्ताव वापस लेना पड़ा था.
तब भी रूस और ब्रिटेन ने खुले तौर पर भारत का साथ दिया था और कहा था कि कश्मीर मुद्दे पर फ़ोरम में चर्चा नहीं होनी चाहिए.