जम्मू: उप राज्यपाल प्रशासन ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में रहने वाले पहाड़ी भाषी लोगों को बड़ी राहत दी है. इसके तहत उन्हें नौकरी और प्रोफेशनल कोर्सेज में दाखिले के लिए चार फीसदी आरक्षण भी मिलेगा. इसके लिए मौजूदा आरक्षण प्रावधानों में ही व्यवस्था की गई है. आरक्षण व्यवस्था का रेशनाइलेजशन करते हुए इनके लिए चार फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है.
इस कवायद में रेजीडेंट्स आफ बैकवर्ड एरिया (आरबीए) का आरक्षण कोटा घटाकर आधा कर दिया गया है. अब 20 फीसदी के बजाय इन्हें 10 फीसदी आरक्षण ही मिलेगा. इस फैसले से राजोरी, पुंछ, बारामुला (उड़ी और बोनियार), कुपवाड़ा (करनाह और केरन) और अनंतनाग, बडगाम, बांदीपोरा, गांदरबल, कुलगाम, पुलवामा और शोपियां में रहने वाले 9.6 लाख पहाड़ी भाषी लोग लाभान्वित होंगे. यह फैसला उपराज्यपाल जीसी मुर्मू की अध्यक्षता में बिते कल हुई प्रशासनिक परिषद की बैठक में किया गया.
बैठक में मौजूदा आरक्षण नीति को युक्तिसंगत बनाने (रेशनाइलेशन) और पहाड़ी भाषी लोगों (पीएसपी) को प्रतिनिधित्व देने के लिए एक बड़े फैसले में जम्मू-कश्मीर आरक्षण नियमों 2005 में कई संशोधनों को मंजूरी दी हैं.
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू व कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2004 को लागू करने, पहाड़ी भाषियों को प्रतिनिधित्व देने के लिए मौजूदा आरक्षण प्रतिशत को युक्तिसंगत बनाना अनिवार्य हो गया था.
इस उद्देश्य से पहाड़ी भाषियों को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की श्रेणी में शामिल करने के लिए जम्मू और कश्मीर आरक्षण नियम 2005 में आवश्यक संशोधनों को मंजूरी दी गई है. प्रशासनिक परिषद ने आरक्षण के नए प्रतिशत के निर्धारण आधार पर आरक्षण रोस्टर को फि र से निर्धारित करने के लिए समाज कल्याण विभाग को निर्देशित किया है.
इस फैसले से न केवल जम्मू-कश्मीर में आरक्षण को तर्कसंगत बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि पहाड़ी समुदाय के सदस्यों को न्यायसंगत प्रतिनिधित्व भी मिलेगा, जिससे उनकी लंबित मांग को पूरा किया जा सके.
सीधी भर्ती में यह होगा आरक्षण
प्रशासनिक परिषद ने विचार के बाद नौकरियों में सीधी भर्ती में आरक्षण के प्रतिशत को भी तर्कसंगत बनाने का फैसला किया है. सीधी भर्ती में अब एससी को 8 प्रतिशत, एसटी को 10 प्रतिशत, सामाजिक जाति को 4 प्रतिशत, एएलसी / आईबी के निवासियों को 4 प्रतिशत, आरबीए को 10 प्रतिशत, पीएसपी को 4 प्रतिशत
प्रोफेशनल कोर्सेज में इस आधार पर मिलेगा आरक्षण
मेडिकल, इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चर और इसी तरह के अन्य पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में पीजी स्तर पर प्रोफेशनल संस्थानों, व्यावसायिक संस्थानों में दाखिले और सीटों के वितरण का भी नए सिरे से निर्धारण किया गया है. इसके तहत अब एससी को 8 प्रतिशत, एसटी को 10 प्रतिशत, सामाजिक जाति को 4 प्रतिशत, एएलसी को 4 प्रतिशत, आरबीए को 10 प्रतिशत, पीएसपी को 4 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत होगा. 4 प्रतिशत का क्षैतिज आरक्षण पीएचसी को उपलब्ध होगा. एमडी-एमएस, एम टेक, इंजीनियरिंग और कृषि विज्ञान और इसी तरह के अन्य स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए अनुसूचित जाति को 8 प्रतिशत, एसटी को 10 प्रतिशत, आरबीए को 10 प्रतिशत, एएलसी-आईबी को 4 प्रतिशत, सामाजिक जाति के लिए 4 प्रतिशत, पीएसपी को 4 प्रतिशत, रक्षा कार्मिक-अर्ध-सैन्य बलों के बच्चों को 2 प्रतिशत और जम्मू-कश्मीर पुलिस कार्मिक, खेल में उत्कृष्ट दक्षता रखने वाले उम्मीदवारों को एक प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा.
वैध पहचान प्रमाणपत्र होना चाहिए
पीएसपी श्रेणी के लाभ का दावा करने के लिए एक व्यक्ति को पहाड़ी कबीले, समुदाय या जनजाति का सदस्य होना चाहिए, जिसकी विशिष्ट सांस्कृतिक, जातीय और भाषाई पहचान हो. पहाड़ी भाषा बोलनी चाहिए और उसकी मातृभाषा पहाड़ी होनी चाहिए. उसके पास एक वैध पहचान प्रमाण होना चाहिए जो आधार कार्ड या डोमिसाइल प्रमाणपत्र हो सकता है. पीएसपी से संबंधित व्यक्तियों के दावे को प्रमाणित करने के लिए तहसीलदार सक्षम प्राधिकारी होंगे.
एसटी का मिले दर्जा
पहाड़ी भाषा बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष तथा भाजपा नेता कुलदीप राज गुप्ता ने कहा है कि पहाड़ी भाषी लोगों को आरक्षण देकर सरकार ने अच्छा कदम उठाया है, लेकिन इन्हें अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बोर्ड के उपाध्यक्ष रहते हुए उन्होंने इस दिशा में कई बार प्रयास किए थे, लेकिन यह परवान न चढ़ सका. इसके साथ ही वाजपेयी शासनकाल में राजोरी में स्थापित दूरदर्शन रिले केंद्र को शुरू किया जाना चाहिए.
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