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बच्चों की बेहतर पालन-पोषण और अभिभावकों की जिम्मेदारियां (परवरिश -1)

राहुल मेहता,

रांची: बच्चों के परवरिश के महत्त्व से हम सभी वाकिफ हैं. परवरिश निर्धारित करता है कि बच्चा कैसे बड़ा होगा और बड़ा होकर कैसा होगा. अधिकतार माता पिता बच्चों के लिए अपना जीवन न्योछावर कर देतें हैं, कभी अपनी इच्छा तो कभी अपने व्यवसाय से समझौता करते हैं ताकि बच्चों की उचित परवरिश कर सकें. फिर भी हम, विशेषकर पिता जाने अनजाने अनेक ऐसे गलतियाँ कर देंते हैं जो बच्चों के परवरिश को प्रभावित करते हैं.

बेहतर परवरिश के लिए पालन-पोषण की जिम्मेदारियां, संस्कृति और सामाजिक मानदंड, पालन-पोषण की शैली, बच्चों का स्वभाव, विकास के चरण, विकास के साथ बच्चे के जरूरतों में बदलाव, अभिभावक-बाल संवाद, उत्तम श्रवण कौशल, तारीफ करना, मर्यादा निर्धारित करना, बच्चे क्यों दुराचार करते हैं, अच्छा अनुशासन, किशोर-किशोरी का देखभाल, लड़कियों और लड़कों में समानता, बेहतर निगरानी, अच्छा प्रेरणास्रोत, भावनाओं पर नियंत्रण, नशापान, बच्चों की जिम्मेदारिया और अधिकार, लैंगिक मानदंडों को समझना, गर्भावस्था और नवजात आदि पर मूलभूत जानकारी आवश्यक है. इन्हीं विषयों पर आधारित परवरिश सम्बन्धी यह श्रृंखला अभिभावकों के लिए मार्गदर्शक एवं संग्रहनीय होगी, ऐसी उम्मीद है.

 

पालन-पोषण की जिम्मेदारियां (परवरिश-1)

अभिभावक अपने बच्चों के जीवन के सभी पहलुओं को प्रभावित करते हैं अतः “पालन-पोषण” या परवरिश में अभिभावक की ज़िम्मेदारियां जरूरी होती है.

परवरिश :

इसका अर्थ है एक बच्चे को जन्म से वयस्कता तक बड़ा करना. जन्मदाता के अलावा दादा-दादी, नाना-नानी, अन्य रिश्तेदार, पालक माता-पिता, पड़ोसी भी बच्चे का परवरिश कर सकते हैं. परवरिश में कई बुनियादी जिम्मेदारियां शामिल होती हैं जैसे:

  • बच्चे के भोजन, आवास, वस्त्र, स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन, विश्राम, सुरक्षा और अन्य आवश्यकता का ध्यान रखना.
  • उन्हें घर में शिक्षा और जीवन-कौशल प्रदान करना.

अभिभावकों की जिम्मेदारियां:

परवरिश बच्चों का बुनियादी जरूरतों को पूरा करना मात्र नहीं है. उत्तम परवरिश के लिए अभिभावक:

  • समझें कि प्रत्येक बच्चा अलग और विशिष्ट है.
  • कभी भी बच्चों की तुलना ना करें.
  • हर समय प्यार, सहयोग, प्रोत्साहन और सम्मान प्रदान करें.
  • उन पर भरोसा करें तथा बेहतर के लिए प्रोत्साहित करें.
  • उनकी उम्र और स्थिति के अनुसार व्यवहार के लिए उचित सीमा और नियम निर्धारित करें.
  • बच्चों को सकारात्मक तरीकों से अनुशासित करें.
  • गलती होने पर सही व्यवहार क्या है अवश्य बताएं.
  • समझें और स्वीकार करें कि बच्चे बड़े होने के साथ-साथ बदलते हैं.
  • बच्चों के लिए एक अच्छा रोल मॉडल बनें.

मंथन करें :

  • पालन-पोषण का आपके लिए क्या मतलब है?
  • अपने बच्चों को पालने में आपने किन चुनौतियों का सामना किया है?
  • आपने इन चुनौतियों को कैसे दूर किया है? आप भविष्य में बेहतर परवरिश के लिए क्या कर सकते हैं?

परवरिश सीजन – 1

बच्चों की बेहतर पालन-पोषण और अभिभावकों की जिम्मेदारियां (परवरिश -1)

बेहतर पालन-पोषण के लिए सकारात्मक सामाजिक नियम अनिवार्य और महत्वपूर्ण हैं (परवरिश-2)

पालन-पोषण की शैली (परवरिश-3)

बच्चों का स्वभाव (परवरिश-4)

अभिभावक – बाल संवाद (परवरिश-5)

उत्तम श्रवण कौशल (परवरिश-6)

तारीफ करना (परवरिश-7)

बच्चे दुर्व्यवहार क्यों करते हैं? (परवरिश-8)

मर्यादा निर्धारित करना, (परवरिश-9)

बच्चों को अनुशासित करने के सकारात्मक तरीके (परवरिश-10)

किशोरावस्था में भटकाव की संभावना ज्यादा होती ह, अतः बच्चों के दोस्तों के बारे में जानकारी अवश्य रखें (परवरिश-11)

भावनाओं पर नियंत्रण (परवरिश-12)

बच्चों की चिंतन प्रक्रिया और व्यवहार (परवरिश-13)

टालमटोल (बाल शिथिलता) और सफलता (परवरिश-14)

नशापान: प्रयोग से लत तक (परवरिश-15)

छेड़-छाड़ निवारण में अभिभावकों की भूमिका (परवरिश-16)

बच्चों का प्रेरणास्रोत (परवरिश-17)

बच्चों के उद्वेग का प्रबंधन (परवरिश-18)

बच्चों में समानता का भाव विकसित करना (परवरिश-19)

बच्चों की निगरानी (परवरिश-20)

स्थानीय पोषक खाद्य पदार्थ (परवरिश-21)

आपदा के समय बच्चों की परवरिश (परवरिश-22)

परवरिश सीजन – 2

विद्यालय के बाद का जीवन और अवसाद (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-01)

किशोरों की थकान और निंद्रा (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-02)

दोषारोपण बनाम समाधान (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-03)

किशोरों में आत्महत्या की प्रवृति (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-04)

पितृसत्ता और किशोरियों की परवरिश (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-05)

किशोर-किशोरियों में शारीरिक परिवर्तन (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-06)

“आंचल” परवरिश मार्गदर्शिका’ हर अभिभावक के लिए अपरिहार्य