गुमला: गुमला जिले में शौचालय निर्माण मद के 104 करोड़ रुपये का कोई हिसाब नहीं मिल रहा है. साथ ही शौचालय निर्माण में खर्च हुए 77.78 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र भी नहीं है. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि इन राशियों का बंदरबाट कर लिया गया है.
दरअसल, साल 2019 में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता का फर्जी हस्ताक्षर कर संविदा पर काम करने वाले कर्मियों ने स्वच्छ भारत मिशन के एक करोड़ रुपये निकाल लिये. इसी मामले में हो रही जांच में रोज नये-नये खुलासे हो रहे हैं.
कार्यपालक अभियंता चंदन कुमार ने बताया कि उनको जैसे ही एक करोड़ की फर्जी निकासी का पता चला, उन्होंने इस मामले में एफआईआर कार्रवाही. पुलिस मामले की जांच कर रही है.
जांचकर्ता पुलिस पदाधिकारी शंकर ठाकुर ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. एक आरोपी ने कोर्ट में सरेंडर किया. पुलिस अब आरोपियों को रिमांड में लेकर पूछताछ करेगी. सभी कागजातों की गहनता से जांच की जा रही है.
5 साल में शौचालय निर्माण के लिए जिले को 190 करोड़ रुपये मिले
इस बीच जांच में पाया गया कि वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिले को 190.24 करोड़ रुपये मिले. इनमें वर्ष 2015-16 के लिए 7.75 करोड़, 2016-17 के लिए 15 करोड़, 2017-18 के लिए 30 करोड़ और 2018-19 के लिए 132.5 करोड़ और चालू वर्ष के एक करोड़ शामिल हैं.
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता सुधाकर कुमार ने कहा कि शुरुआत से ही वे लोग इस मामले में भारी अनियमितता की बात कह कार्रवाई की मांग कर रहे थे. बिना शौचालय बनाये ही पैसा की निकासी की गयी. जबकि एक शौचालय को कई बार दिखाकर पैसे निकाले गये. इस मामले में स्पेशल टीम बनाकर जांच होनी चाहिए.
कैश बुक में 104 करोड़ रुपये का ब्योरा नहीं
जांच में पाया गया है कि शौचालय निर्माण के नाम पर दिखाये गये 148.64 करोड़ में से 77.78 करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं है. कैश बुक की जांच में पाया गया कि शौचालय निर्माण के लिए फरवरी 2019 तक विभिन्न समितियों को 104 करोड़ रुपये बतौर अग्रिम दिये गये. लेकिन कैश बुक में इस बात का ब्योरा नहीं है कि इस राशि का शौचालय निर्माण हुआ या नहीं. इस अवधि तक कैश बुक में संबंधित अधिकारी का हस्ताक्षर नहीं है.