नई दिल्ली: राज्य सभा में बुधवार को शिव सेना के अनिल देसाई ने यूरोपियन यूनियन की ओर से नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाने की कड़ी निंदा की और इसके विरुद्ध सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करने की मांग की.
देसाई ने कहा कि किसी भी देश को हमारे आतंरिक मामलों में टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है और यूरोपियन यूनियन के प्रस्ताव के मद्देनजर सदन में सर्वसम्मति से निंदा प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिए.
देसाई ने कहा कि यूरोपियन यूनियन,अमेरिका, पाकिस्तान या कोई अन्य देश हो, उसे भारत की संसद में पारित किये गये किसी कानून को लेकर कोई टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है. देश के राजनीतिक दलों के आपस में मतभेद हो सकते हैं, वे सरकार के फैसलों से सहमत और असहमत हो सकते हैं. असहमति की स्थिति में न्यायालय के दरवाजे खुले हैं और सरकार न्यायालयों के फैसले मानने के लिए बाध्य भी है लेकिन किसी अन्य देश को हमारे आंतरिक मामलों में टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है.
सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस पर कहा कि वह सदन के सभापति और देश के उप राष्ट्रपति के नाते कहना चाहते हैं कि भारतीय संसद को कानून बनाने का अधिकार है. उनका स्पष्ट संदेश है कि कोई देश चाहे वह छोटा हो या बड़ा, हमारे देश के आतंरिक मामलों में कोई टिप्पणी न करे. उन्हें साफ तौर पर यह समझ लेना चाहिए.