रांची: भारत भर में आयुर्वेद, योग और नेचरोपथी, युनानी, सिद्ध और होमियोपथी (आयुष) मंत्रालय द्वारा पंजिकृत आठ लाख आयुष प्रेक्टिशनर (तबीब) में से 811 झारखंड में है. देश में कार्यरत कुल 4035 आयुष अस्पतालों में से पांच झारखंड में है. राज्यसभा में सांसद परिमल नथवाणी के प्रश्न के उत्तर में ए आयुर्वेद, योग और नेचरोपथी, युनानी, सिद्ध और होमियोपथी मंत्रालय के राज्य मंत्री श्रीपाद येसो नाइक ने यह जानकारी दी.
केंद्रीय राज्यमंत्री ने बताया कि झारखंड के 811 आयुष प्रेक्टिशनर्स में से अधिकतम 538 होमियोपथी, 219 आयुर्वेद और 54 युनानी पद्धति में कार्यरत है. महाराष्ट्र 1.53 लाख और बिहार 1.36 लाख की संख्या के साथ भारत में प्रथम और द्वितिय क्रम पर है. झारखंड में कार्यरत पांच आयुष अस्पतालों में से चार होमियोपथी और एक आयुर्वेद के है. उन्होंने बताया कि बिहार में आठ अस्पताल है, जबकि उत्तराखंड 405 और उत्तर प्रदेश 2316 अस्पतालों के साथ देश के कुल मिलाकर 4035 आयुष अस्पतालों में से आधा हिस्सा बांटते है.
परिमल नथवाणी देश में आयुर्वेद, योग और नेचरोपथी, युनानी, सिद्ध और होमियोपथी में कार्यरत आयुष तबीबों और देश में कार्यरत आयुष अस्पतालों की राज्यवार परिस्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी. उन्होंने ने सरकार द्वारा आयुष को आरोग्यरक्षा सेवाओं की मुख्यधारा के साथ जोड़ने के लिए की हुई कारवाई के बारे में भी जानकारी मांगी थी.
केंद्रीय मंत्री ने बताया की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के अनुसार आयुष-निवारक, प्रोत्साहक, उपचारात्मक और पुनर्वास सेवाओं का व्यापक समूह प्रदान करते है. यह नीति सार्वजनिक सुविधाओं में सहस्थान के माध्यम से आयुष उपचार तक पहुंच सुनिश्चित करती है. नीति आयुर्वेदिक सेवाओं को मानकिकृत और मान्य करने और आयुष दवाओं के लिए एक मजबूत और प्रभावी गुणवत्ता नियंत्रण तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता को पहचनाती है. नीति स्थानिक समुदायों को शामिल करने और औषधीय पौधो के प्रसंस्करण में आगे और पिछड़े बाजार संपर्क स्थापित करने के माध्यम से स्थायी आजीविका प्रणालियों के विकास पर और साथ ही औषधीय पौधों की खेती के लिए कदमों को मजबूत करने पर केन्द्रित है.