रांची: स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने आज सरायकेला में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के राज्यस्तरीय कार्यक्रम का उद्घाटन किया. यह कार्यक्रम राज्य के 12 जिलों में 10 फरवरी को आयोजित किया जाएगा, जिसमें 1-19 साल तक के किशोर किशोरियों को एजबेंडाजॉल दवा खिलाई जाएगी. जो बच्चे 10 फरवरी को दवा खाने से छूट जाएंगे उन्हें 17 फरवरी को मॉप अप दिवस के दिन एलबेंडाजॉल दवा खिलाई जाएगी.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि चिकित्सक, नर्स और अन्य स्वास्थ्य कर्मी यदि मरीजों से अच्छा व्यवहार करें तो मरीजों की 30 प्रतिशत बीमारी स्वतः ठीक हो जाती है. इसलिए सभी को संवेदनशील बनना होगा.
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड के लोगों में कुपोषण है, खून की कमी है. हमारे पास साधन सीमित हैं और हमें इसके साथ ही आगे बढ़ना है और लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाना है.
इस मौके पर उन्होंने स्वास्थ्य पदाधिकारियों को गंभीरता पूर्वक काम करने का निर्देश दिया. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हमारे राज्य के जो चिकित्सक प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहे हैं उन्हें मैं बताना चाहता हूं कि कोई भी हमारे चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मियों का अपमान करेगा या प्रताड़ित करेगा, सरकार इन स्वास्थ्यकर्मियों, चिकित्सकों के साथ खड़ी रहेगी.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कृमि संक्रमण के कारण बच्चों के स्वास्थ्य तथा उनके समग्र विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, इससें एनिमिया, कुपोषण आदि का भी खतरा बना रहता है. कृमि मुक्ति दिवस एक अभिन्न कार्यक्रम है अतः इसे अनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के साथ भी जोड़ा गया है.
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए 19,555 शिक्षकों, 17,567 आंगनबाड़ी कार्यकत्ताओं 18,073 सहियाओं को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है. हमारे लिए यह चुनौती है कि उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में बच्चों को दवा कैसे खिलाई जाए. हमें यह उम्मीद भी है कि हमारे स्वास्थ्य कार्यकर्ता ऐसी जगहों पर भी पहुंचकर बच्चों को दवा जरूर खिलाएंगे.
लोगों को संबोधित करते हुए अभियान निर्देशक डॉ शैलेश कुमार चौरसिया ने कहा कि हमलोग इस प्रांगन को ऐतिहासिक प्रांगन बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि आज के विद्यार्थी कल के भविष्य होते हैं. हमारे झारखंड में एनिमिया और कुपोषण बड़ी समस्या है. इसे खत्म करने की ओर कदम बढ़ाने के लिए हम आज यहां उपस्थित हुए हैं.
डॉ चौरसिया ने कहा कि जिन बच्चों के पेट में कृमि होती है. वो पौष्टिक आहार लें तो भी शरीर में उसका ग्रहण नहीं होता है. अतः एक से 19 साल के सभी बच्चों को एलबेंडाजॉल की दवा जरूर खिलाएं. अभियान निदेशक ने कहा कि राज्य के 12 जिलों में यह कार्यक्रम चल रहा है लेकिन शेष 12 जिले इससे नहीं छूटेंगे. बाकी 12 जिलों में यह दवाई मार्च से जून तक खिलाई जाएगी. दोहराव से बचने के लिए इन जिलों को इस चक्र में शामिल नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा कि 72 लाख बच्चों को इस चरण में एलबेंडाजॉल की दवा खिलाई जाएगी जिसके लिए जिला प्रशासन और राज्य स्तर से हर तरह की तैयारी की गई है. डॉ चौरसिया ने कहा कि हर साल यह कार्यक्रम दो चरणों में संचालित किया जाता है. इन 12 जिलों के सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केन्द्रों में दवा उपलब्ध करवा दी गई है. हर स्तर पर इस कार्यक्रम की निगरानी की व्यवस्था की गई है. इस कार्यक्रम का मॉप अप राउंड 17 फरवरी को आयोजित किया जाएगा.
इस अवसर पर निर्देशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं डॉ जे.पी सांगा ने कहा कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस स्वास्थ्य एव परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की एक पहल है. जिसका 9 वां चरण 10 फरवरी, 2020 को राज्य के 12 जिलों में (बोकारो, धनबाद, देवघर, लोहरदगा, रामगढ़ साहेबगंज, कोडरमा, जामताड़ा, पाकुड़, पलामू, सरायकेला एवं लातेहार) आयोजित किया जायेगा.
कार्यक्रम के इस चरण में जो बच्चे अनुपस्थिति या बीमारी या किसी अन्य कारण से इस दिन दवा खाने से छूट जायेंगे उन्हें पुनः 17 फरवरी, 2020 को मॉप अप दिवस पर कृमिनाशक दवा खिलाई जायेगी.
उन्होंने कहा कि सितम्बर, 2019 में राज्य के 23 जिलों में इसका 8 वां चरण चलाया गया था. जिसमें लगभग 1 करोड़ 31 लाख बच्चों को कृमि नाशक दवा खिलाई गई थी.
उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हम राज्य के सभी बच्चों को कृमिनाशक दवा खिलाकर उनको कृमि मुक्त करें.
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, झारखंड के राज्य स्तरीय पदाधिकारी डॉ अमर कुमार मिश्रा, डॉ अजीत प्रसाद, परामर्शी, जिला स्तरीय स्वास्थ्य पदाधिकारी, एविडेंस एक्सन के प्रतिनिधि, विद्यालय की प्रधानाध्यापिका संध्या प्रधान और अन्य जिला स्तरीय पदाधिकारी उपस्थित थे.