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उत्तम श्रवण कौशल (परवरिश-6)

राहुल मेहता

रांची: प्रकाश को एक प्रश्न का उत्तर समझ में नहीं आ रहा था. वह पिताजी के पास गया. पिताजी फोन पर बात कर रहे थे.  उन्होंने उसकी बात आधी सुनने का बाद कहा – “इस प्रश्न को छोड़ दो, बाद में बता दूंगा. प्रकाश के लिए उत्तर नया नहीं था”. पिछली बार हमने उत्तम अभिभावक- बाल संवाद पर चर्चा की थी. जब कोई आपकी बात नहीं सुनता तो आपको कैसा लगता है ? अतः यह सोचने के लिए कुछ समय निकालें कि आप बच्चों से कैसे बात करते हैं ?

  • क्या आप बोलते समय बच्चे को देखते हैं ?
  • क्या आप ध्यान से सुनते हैं और उस समय अन्य काम नहीं करते ?
  • क्या आप अक्सर कहते हैं कि आप व्यस्त हैं, बाद में बात करेंगे ?

 

उत्तम श्रवण कौशल:

संवाद, परवरिश का एक अहम हिस्सा है और अच्छे संवाद के लिए अच्छी श्रवण कौशल आवश्यक है. सुनते समय शरीरिक भाषा, बैठने का तरीका, भाव आदि भी अहम भूमिका निभाते हैं. अच्छा श्रवण कौशल न केवल बच्चे के विचारों को स्पष्टतः समझने में मददगार होता है और बच्चों को बेहतर और सम्मानपूर्वक संवाद करने का तरीका सिखाता है अपितु अभिभावक और बच्चे के बीच मधुर रिश्ता भी बनाता है.

अच्छे श्रवण के लिए:

  • अन्य काम करना बंद करें; बस सुने.
  • यदि संभव हो, तो बच्चे के समान स्तर पर बैठें.
  • थोड़ा सा आगे झुकें. समझे कि बच्चा क्या कह रहा है.
  • हामी भरें, अपना सिर हिलाएं. नजर मिला कर बात करें.
  • बच्चे को बाधित न करें. जरुरी हो तो स्पष्टीकरण हेतु प्रश्न पूछें.
  • मधुर आवाज में अपनी बात कहें. बच्चे से पूछें कि क्या कोई सवाल है.
  • अंत में चर्चा को सारांशित करें.
  • जो भी निर्णय किए गए थे, उन पर प्रकाश डालें.

भावनाओं को नियंत्रित करने में सहायक:

बच्चों की बात सुनने से उनका मन हल्का हो जाता है और वे अपने काम में लग जाते हैं. परन्तु यदि भावनायें बाहर नहीं आती तो बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है. कभी- कभी बच्चे नकारात्मक विचार प्रक्रिया में चले जाते हैं, और केवल रिश्तों को नकारात्मक दृष्टिकोण से देखने लगते हैं.