रांची, 8 जुलाई : पानी की जरूरत आज सभी काम के लिए है। सभी को पानी चाहिये लेकिन इसके संचयन के लिए बहुत कम लोग पहल करते हैं। इसका प्रबंधन नहीं होता है, जिससे बरसात का पानी व्यर्थ बह जाता है। जल के संचयन की दिशा में सरकार ने पहल करते हुये सभी जिलों और पंचायत स्तर पर श्रमदान कार्यक्रम का आयोजन कर जल संचयन कार्यक्रम का शुभारंभ कर रही है।
इसके साथ-साथ ही रांची के एसएसपी अनीश कुमार गुप्ता ने जल शक्ति अभियान के दौरान वृक्षारोपन किया और उन्होंने जल संचयन कार्यक्रम के साथ-साथ वृक्षारोपण का महत्व के बारे में भी बताया। यह वही प्रयास है जिसमें प्रदेश के मुखिया ने साधु सन्तों से लेकर फिल्म जगत के सितारों को और मीडिया से लेकर देश के जाने-माने पर्यावरणविदों को जोड़कर अदभुत काम कर दिखाया था। प्रधानमंत्री की मौजूदगी में नर्मदा की रेत के अवैध और अवैज्ञानिक खनन को रोकने के लिये न केवल संकल्प लिया था वरन उसे रोककर और वैज्ञानिक आधार दिलाने के लिये ऐतिहासिक फैसला लेकर देश के सामने उदाहरण पेश किया था।
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उसी क्रम में 2 जुलाई 2017 को प्रदेश के 51 में से 24 जिलों के 98 हजार 976 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 6 करोड़ पौधों का रोपण कर हरितिमा की चुनरी चढ़ाने का प्रयास किया गया है। मुख्यमंत्री खुद अमरकंटक, लमेटाघाट (जबलपुर), छीपानेर (सीहोर) और ओंकारेश्वर में वृक्षारोंपण किये। यह प्रयास विश्व रिकार्ड बनेगा और सदा-सदा के लिये प्रदेश और उसके मुखिया के नाम पर अंकित होगा।
वृक्षारोपण कार्यक्रम में पौधों का इन्तजाम करना और उन्हें यथा समय लगाना बहुत कठिन नहीं है। हर राज्य के वन विभाग का अमला इसके लिये प्रशिक्षित होता है। हर प्रदेश में ऐसे लोगों का भी अभाव नहीं होता जो प्रकृति से अपने जुड़ाव के कारण वृक्षारोंपण को विज्ञान सम्मत, आवश्यक तथा पुनीत कार्य मानते हैं। कुछ लोग उसे अपने संस्कारों का हिस्सा मानते हैं।